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रघुवरजसप्रकास
कमळबंध उदाहरण
छप्पै कौसळ या सुख करण, नेत-बंध दसरथ नंदण । व्रत खित्रवट निरवहण, दुसट ताड़का निकंदण ॥ रिण सुबाह संघरण, असुर मारीच उडावण । रज पै अहल्या तरण, संत जम त्रास छुडावण ॥ व्रत जनक राख सीताबरण, धांनुखभंजण जटधरण । मुण 'किसन' सुजस रघु-बंस-मण, सीतापत असरण सरण ॥ २२७
नेत बंध दसरथ नंद।
3-व्रत रिवत्र वट निरवह
४- दुमट ताड़का निकंद
१-कोसल्या सुरख कर
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सीतापत असरण सर
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१०-धानुरव भजणजट भार
तजनक राव सीताबर
११-मुणकिमन सुजम रघुवंभम
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२२७. नेत-बंध-अपना निजका झंडा या ध्वजा रखने वाला, वीर। नंदण-पुत्र । व्रत-वृत,
आचार । खित्रवट-क्षत्रियत्व, वीरता, शौर्य। निरवहण-वहन करने वाला, धारण करने वाला, निभाने वाला। निकंदण-संहार करने वाला, मारने वाला। रिणयुद्ध। संघरण-संहार करने वाला, मारने वाला। रज-धुलि। पै-चरण, पैर । तरण-उद्धार करने वाला। जम-यम, यमराज। त्रास-भय, डर। बत-प्रण। सीताबरण-सीतापति, श्रीरामचंद्र । धांनुख-धनुष । भंजण-तोड़ने वाला। जटधरणमहादेव । मुण-कह, वर्णन कर । रघु-वंस-मण-रघुवंशमरिण । सीतापत-सीतापति ।
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