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________________ ७६ ] रघुवरजसप्रकास अथ गाथा छंद छबीस नाम कथन कवित छप्पै लच्छी रिद्धी बुद्धी, लज्जा विद्या खंम्या। लहदेवी गौरी धात्री, कविस चूरणा छाया ।। कह कांती मह माया, ईस कीरती सिद्धी । मांणणि रांमा गाहेणि, वसंत सोभा हरणी ॥ सुण चक्कवी, सारसी, कुररी चवी, सिंघी हंसी साखिए । छावीस नाम गाथा छजै, भल राघव जस भाखिए ॥ १४७ अथ लछी नाम गाथा लछण सतावीस गुरु त्रय लघू , लछी आखर तीस । यक गुरु घट बे लघु वध, सौ सौ नाम कवीस ॥ १४८ ___ लछी गाथा उदाहरण ___ अख्यर ३० गुरु २७ लघु ३ तौ सारीखौ तं ही, जै जै स्री राम जीपणा जंगां । सीता वाळा स्वामी, भूपाळां मौड़ है. भांमी ॥ १४६ गाथा नाम रिद्धी - अख्यर ३० गुरु २६ लघु ४ रै झोका स्रीरांम, तं सातै ताळ वेधण तीरं । थरै दैतां थौका, दीनांचा नाथ जगदाता ॥ १५० १४७. चवी-कही। छज-शोभा देते हैं । १४८. त्रय-तीन । यक-एक । १४६. तौ-तेरे । सारीखौ-सदृश, समान । जीपणा-जीतने वाला। जंगां-युद्धों। मौड़-अवतंश । हूं-मैं । भांमी-वलैया लेता हूँ, न्यौछावर होता हूँ। १५०. झौका-धन्य-धन्य । ताळ-ताड़, वृक्ष । धेरै-नाश करता है । दैतां-दैत्यों। थौका-समूह । नोट-गाथाकी संख्याका छप्पय मूल प्रतिके अनुसार ही है किन्तु ठीक प्रतीत नहीं होता। गाथाओं के २६ नाम-लच्छी, रिद्धी, बुद्धी, लज्जा, विद्या,खंम्या, देवी, गौरी, धात्री, चूरणा, छाया, कांती, महामाया, कीरती, सिद्धी, मांणणि, रामा, गाहेरिण, वसंत, सोभा, हरणी, चक्कवी, सारसी, कुररी, सिंही, हंसी। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003420
Book TitleRaghuvarjasa Prakasa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSitaram Lalas
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1960
Total Pages402
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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