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________________ सिद्धान्त खण्ड दर्शन-शास्त्र : ब्रह्मचर्य भारतीय संस्कृति का मूल आधार है-तप, त्याग और संयम । संयम में जो सौन्दर्य है, वह भौतिक भोग-विलास में कहाँ है । भारतीय धर्म और दर्शन के अनुसार सच्चा सौन्दर्य तप और त्याग में ही है। संयम ही यहाँ का जीवन है। संयमः खलु जीवनम् । संयम में से आध्यात्मिक संगीत प्रकट होता है । संयम का अर्थ है-अध्यात्मशक्ति । संयम एक सार्वभौम वस्तु है। पूर्व और पश्चिम उभय संस्कृतियों में इसका आदर एवं सत्कार है । संयम, शील और सदाचार ये जीवन के पवित्र प्रतीक हैं। संयम एवं शील क्या है ? जीवन को सुन्दर बनाने वाला प्रत्येक विचार ही संयम एवं शील है। असंयम की दवा संयम ही हो सकती है। विष की चिकित्सा अमृत ही हो सकता है । भारतीय संस्कृति में कहा गया है कि-"सागरे सर्व-तीर्थानि" संसार के समस्त तीर्थ जिस प्रकार समुद्र में समाहित हो जाते हैं, उसी प्रकार दुनिया भर के संयम, सदाचार एवं शोल ब्रह्मचर्य में अन्तनिहित हो जाते हैं । एक गुरु अपने शिष्य से कहता है---"यथेच्छसि तथा कुरु" यदि तेरे जीवन में त्याग, संयम और वैराग्य है, तो फिर तू भले ही कुछ भी कर, कहीं भी जा, कहीं पर भी रह, तुझे किसी प्रकार का भय नहीं है । आचार्य मनु कहते हैं कि-"मनःपूतं समाचरेत्" यदि मन पवित्र है, तो फिर जीवन का पतन नहीं हो सकता। इसलिए जो कुछ भी साधना करनी हो, वह पवित्र मन से करो। यही ब्रह्मचर्य की साधना है। ____ सुकरात, प्लेटो और अरस्तू जो अपने युग के महान दार्शनिक, विचारक और समाज के समालोचक एवं संशोधक थे, अपनी ग्रीक-संस्कृति का सारतत्व बतलाते हुए, उन्होंने भी यही कहा कि संयम और शील के बिना मानव-जीवन निस्तेज एवं निष्प्रभ है । मनुष्य यदि अपने जीवन में सदाचारी नहीं हो सकता, तो वह कुछ भी नहीं हो सकता। संयम और सदाचार ही मानव-जीवन के विकास के आधारभूत तत्व हैं । प्लेटो ने लिखा है कि मनुष्य-जीवन के तीन विभाग हैं-Thought (विचार) Desires (इच्छाएँ) और Feelings (भावनाएँ) । मनुष्य अपने मस्तिष्क में जो कुछ सोचता है, अपने मन में वह वैसी ही इच्छा करता है और उसकी इच्छाओं के अनुसार Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003419
Book TitleBramhacharya Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherSanmati Gyan Pith Agra
Publication Year1982
Total Pages250
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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