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सिद्धान्त खण्ड| 3
मनोविज्ञान : ब्रह्मचर्य
मनोविज्ञान आज के युग का एक विचार-शास्त्र है। मानव-जीवन के प्रत्येक पहलू पर यह गम्भीरता के साथ विचार करता है। मनोविज्ञान की परिभाषा है कि मन के स्वरूप और उसकी विचारात्मक क्रियाओं का अध्ययन एवं अनुसंधान करने वाला शास्त्र । मनुष्य के व्यवहार और विचारों को जानकर यह मानव के मन का अध्ययन प्रस्तुत करता है । मनोविज्ञान में मनोविश्लेषण-विज्ञान की खोजों का भी समावेश होता है। यह एक सबसे नया विज्ञान है। मनोविज्ञान के द्वारा मन का विराट रूप जाना जाता है । आधुनिक युग में हमारे अध्ययन का एक भी ऐसा विषय नहीं है, जिसमें आज मनोविज्ञान की आवश्यकता न हो। शारीरिक स्वास्थ्य, मनुष्य के वैयक्तिक व्यवहार तथा सामाजिक एवं सांस्कृतिक समस्याओं को समझने के लिए आज के मानव जीवन में मनोविज्ञान को नितान्त आवश्यकता है। मनोविज्ञान की उपयोगिता :
___मनोविज्ञान का अध्ययन जन-जीवन को सुचारु रूप से चलाने के लिए बड़े महत्व का है। मनोविज्ञान में भी New Psychology ने शरीर और मन के सम्बन्ध में एक नया प्रकाश डाला है। अनेक शारीरिक बीमारियाँ, जिनका डाक्टर लोग बाहरी उपचार किया करते हैं, मानसिक कारणों से होती हैं। इसी प्रकार अनेक मानसिक बीमारियों की चिकित्सा आज शारीरिक चिकित्सा के द्वारा की जाती है। किन्तु उनका कारण मानसिक होता है । अस्वस्थ मन ही, अनेक बीमारियों का कारण है, यह सिद्धान्त नवीन मनोविज्ञान ने सयुक्तिक स्थिर किया है । जिस प्रकार शरीर का स्वास्थ्य मानसिक स्वास्थ्य पर निर्भर है, उसी प्रकार मानव-मन में रहने वाले सदाचार एवं कदाचार भी मन की अज्ञात क्रियाओं पर निर्भर रहते हैं। मनोविज्ञान के सिद्धान्त के अनुसार प्रत्येक व्यक्ति के मन में, अनेकविध ग्रन्थियाँ (Complexes) रहती हैं। यह ग्रन्थियाँ मनुष्य की बहुत-सी कुचेष्टाओं और दुगचारों के कारण होती हैं । नवीन मनोविज्ञान के अनुसन्धान के अनुसार, मनुष्य का निर्मल मन ही सदाचारी हो सकता है । मनोविज्ञान की खोज यह प्रमाणित करती है कि जब तक
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