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प्रवचन
ब्रह्मचर्य का प्रभाव
ब्रह्मचर्य के सम्बन्ध में जन-धर्म ने और दूसरे धर्मों ने भी एक बहुत महत्त्वपूर्ण बात कही है। वह यह कि ब्रह्मचर्य आत्मा की आन्तरिक शक्ति होते हुए भी बाह्य पदार्थों में परिवर्तन कर देने की अद्भुत क्षमता रखता है । वह प्रकृति के भयंकर से भयंकर पदार्थों की भयंकरता को नष्ट कर उनको आनन्दमय एवं मंगलमय बना देता है । ब्रह्मचर्य के इस चमत्कारी कार्य-कलाप से सम्बन्धित कहानियाँ सभी धर्मों में प्रचुर मात्रा में देखने को मिलती हैं।
ग्यारह लाख वर्षों का दीर्घतर काल व्यतीत हो जाने पर, आज भी आप सुन सकते हैं, कि सीता अपने सत्य और शील की परीक्षा के लिए प्रचण्ड अग्नि-कुण्ड में कूद पड़ी थी । इजारों-हजार ज्वालाओं से दहकते हुए उस भयंकर अग्नि-कुण्ड में सीता कूदी, तो हज़ारों स्त्री-पुरुषों के मुख से चीख निकल पड़ी और कठोर से कठोर हृदय वाले दर्शकों के दिल भी दहल उठे। दुर्घटना की आशंका से उनके नेत्र सहसा बन्द हो गए। किन्तु दूसरे ही क्षण उन्होंने जब आँखें खोलीं, तो देखते हैं कि वह अग्नि-कुण्ड स्वच्छ, शीतल एवं शान्त सरोवर के रूप में बदल गया है। खिले हुए कमल-पुष्पों के बीच सीता, देवी-स्वरूपा सीता एक अद्भुत तेजोमय प्रकाश से आलोकित हो उठी है।
आज प्राचीन काल की ऐसी बातों और कथाओं पर लोगों की ओर से तरह-तरह की आलोचनाएं सुनी जाती हैं। कुछ लोग समझने लगे हैं, कि यह केवल रूपक और अलंकार है । यह कभी हो सकता है कि आग, पानी बन जाए ? आग, आग है और पानी, पानी।
आज विश्व के विचारशील व्यक्तियों के सामने यह एक बहुत बड़ा प्रश्न उपस्थित है, कि भौतिक पदार्थों की शक्ति बड़ी है या आत्मा की शक्ति बड़ी है ? दोनों शक्तियों में वस्तुतः कौन महान् है ?
यदि हम प्रकृति के भौतिक पदार्थों को महत्त्व देते हैं और उनको बड़ा समझ
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