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________________ समस्या और समाधान अहिंसा और सत्य के पश्चात् अचौर्यव्रत भी एक बहुत महत्त्वपूर्ण व्रत है। अचौर्यव्रत एक प्रकार से अहिंसा और सत्य की कसौटी है। अतएव उस पर भी सावधानी के साथ गंभीर तथा तलस्पर्शी विचार करना आवश्यक है। ___ अस्तेय का व्यवहार पक्ष भी बड़ा प्रबल है। वह मानव जीवन के प्रत्येक व्यवहार क्षेत्र में साधना की अपेक्षा रखता है। अतएव उसका प्रधान क्षेत्र वहीं है जहाँ मनुष्य दूकानदारी करता है या ऑफिस में काम करता है या जीवन-निर्वाह के लिए अन्यत्र कोई काम करता है। इस प्रकार अहिंसा और सत्य जीवन में अवतरित हुए हैं या नहीं, इस तथ्य की परीक्षा जीवन व्यवहार में ही होती है और उनकी परीक्षा की कसौटी अस्तेय है। जिसका जीवन व्यवहार अस्तेयपूर्वक चल रहा है, समझा जा सकता है कि उसके जीवन में अहिंसा भी आ गई है और सत्य भी आ गया है। इसके विरुद्ध जिस व्यक्ति के जीवन व्यवहार में अस्तेय नहीं है, जो चोरी करके, छल-कपट और बेईमानी करके, दूसरों को ठग करके और दूसरों के हित की सर्वथा उपेक्षा करके अपनी आजीविका चला रहा है, मानना पड़ेगा कि उसके जीवन में अहिंसा और सत्य का आविर्भाव नहीं हुआ है। जैन धर्म जीवन के सम्बन्ध में एक बहुत महत्त्वपूर्ण बात कह रहा है वह यह कि क्या अहिंसा और क्या सत्य, जो भी साधना के अंग हैं, वे केवल घड़ी दो घड़ी के लिए नहीं हैं । अर्थात् यह नहीं कि किसी विशिष्ट काल में किसी विशेष क्षेत्र में उनका पालन या आराधन कर लिया और छुट्टी पा ली। शेष जिन्दगी में उनका कोई स्थान नहीं है ! ___ जैनधर्म यही कहता है कि मनुष्य जहाँ कहीं भी है, जैसी भी स्थिति में है, वहीं उसे अहिंसा और सत्य की साधना करनी है। फलतः वह जहाँ कहीं भी जीवन व्यवहार के संघर्ष में लगा है वहीं उनका पालन कर सकता है। ___जो मनुष्य अचौर्यव्रत को ग्रहण कर लेता है, चोरी को छोड़ देता है उसके जीवन में अहिंसा और सत्य का रूप अपने आप शुद्ध होने लगता है। क्योंकि जब किसी तरह Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003418
Book TitleAsteya Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni, Vijaymuni
PublisherSanmati Gyan Pith Agra
Publication Year1994
Total Pages152
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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