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अकाममरणीय मृत्यु और मृत्यु के भय से मुक्ति !
हजारों प्रश्न मनुष्य ने पूछे हैं और हजारों ही समाधान उसे मिले हैं? किन्तु कुछ ऐसे विलक्षण प्रश्न हैं, जिनका अनेक बार समाधान होने पर भी प्रश्नत्व मिटा नहीं है। ऐसे ही प्रश्नों में जन्म और मृत्यु का प्रश्न भी है। प्रत्येक व्यक्ति का यह प्रश्न है और प्रत्येक व्यक्ति समाधान की खोज में है।
___ आत्मा की मृत्यु नहीं होती है। आत्मा द्रव्यदृष्टि से सनातन है, अत: वह अज है, अजर है, अमर है।
शरीर की भी मृत्यु नहीं होती। शरीर भी मूल पुद्गल द्रव्य की दृष्टि से शाश्वत है, ध्रुव है।
क्या आत्मद्रव्य की पर्याय का परिवर्तन मृत्यु है ?
नहीं, जिस मृत्यु की चर्चा यहाँ है वह आत्म-द्रव्य की प्रतिक्षण उत्पाद-व्ययशील पर्याय के परिवर्तन से सम्बन्धित नहीं है।
तब क्या शरीर का परिवर्तन मृत्यु है ?
नहीं, वह भी नहीं। यहाँ केवल शरीर के परिवर्तन को भी मृत्यु नहीं कहते हैं।
तब मृत्यु क्या है? आत्मा का शरीर को छोड़ना ‘मृत्यु' है। आत्मा शरीर को क्यों छोड़ता है? दिया क्यों बुझ जाता है? जलते-जलते तेल समाप्त हो जाता है, और दिया बुझ जाता है।
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