________________ कर्म ही सत्य है। यह शरीर नौका है।। अनुशासन से क्षुब्ध न हो। सारभूत शिक्षा ही ग्रहण करो।। समय पर समय का उपयोग करो। अपने पर भी कभी क्रोध न करो। विशुद्ध जीवन में ही धर्म ठहरता है। कृत कर्मो को भोगे बिना छुटकारा नहीं है। आत्मा का कभी नाश नहीं होता / जीवन और रूप बिजली की चमक है।। आत्मविजेता ही विश्वविजेता है। क्रोधसे व्यक्ति जीचे गिरता है। मानव जीवन बहत दुर्लभ है। एक धर्म ही त्राण है। तपज्योति है। उत्तराध्ययन सूत्र Jain Education International For Private & Personal Use Only