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२७- खलुंकीय
सुसमाहिए।
१७. मिउ - मद्दवसंपन्ने गम्भीरे विहरइ महिं महप्पा सीलभूण अप्पणा ||
-त्ति बेमि ।
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वह मृदु और मार्दव से सम्पन्न, गम्भीर, सुसमाहित और शील - सम्पन्न महान् आत्मा गर्ग पृथ्वी पर विचरने लगे ।
- ऐसा मैं कहता हूँ ।
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