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उत्तराध्ययन सूत्र
प्रहर स्वाध्याय के हैं, दो प्रहर ध्यान के हैं। दिन के एक प्रहर में भिक्षा और रात के एक प्रहर में निद्रा । आवश्यक कार्यों के लिए थोड़ा समय और भी दिया जा सकता है, किन्तु प्रमुखता स्वाध्याय और ध्यान की है। नींद केवल एक प्रहर है। स्वाध्याय और ध्यान से निद्रा स्वाभाविक ही कम होती जाती है। यह जागृत साधक का एक दिव्य साधना-चित्र है, जो आज भी जन-मन को रचनात्मक प्रेरणा देता है।
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