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उत्तराध्ययन सूत्र
श्रमण बनने का लक्ष्य केवल वेष-परिवर्तन से परा नहीं होता है। वेष-परिवर्तन आसान है। दो-चार बँधे बँधाये नियमों का पालन करना भी सहज है। किन्तु अनासक्ति के साथ उस परम सत्य की खोज के लिए अपने को सर्वतोभावेन समर्पित करना, आसान नहीं है। और यही वह साधना है, जो मानव-जीवन का परम आदर्श है । जो इसे साध सकता है, भगवान् महावीर उसे श्रेष्ठ श्रमण कहते हैं।
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