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________________ विश्वास विश्वास मानव जीवन में सब से बड़ी शक्ति है । विश्वासबल ही मनुष्य को संकटों से पार करता है, उसे लक्ष्य पर पहुँचाता है । दृढ़ विश्वासी कभी हारता नहीं, थकता नहीं, गिरता नहीं, मरता नहीं । विश्वास अपने आप में अमर औषध है । विश्वास जीवन है, अविश्वास मृत्यु । जिस मनुष्य का अपने ऊपर विश्वास नहीं, अपनों पर विश्वास नहीं, जीवन के ऊँचे आदर्शों पर विश्वास नहीं, वह संसार में किसी का भी कभी विश्वास - पात्र नहीं बन सकता, साथी नहीं हो सकता । निष्ठा वीर पुरुषों की आत्मा को बस एक वार सत्य की झलक दीख जानी चाहिए, फिर वे उस पर सदा के लिए अचल, अटल हो जाते हैं। शरीर भले ही नष्ट हो जाए, प्राण भले ही चले जाएँ, परन्तु क्या मजाल कि सत्य से तिल भर भी इधर उधर हो जाएँ । जो अपने सिद्धान्तों से हटने का पथ सदा के लिए भूल जाते हैं, उनके शब्द-कोष में ‘पथ-भ्रष्ट' जैसा कोई शब्द ही नहीं होता । श्रद्धा । 1 आत्म विश्वास अपने - आप में विश्वास रखना ही ईश्वर में विश्वास रखना है । जो अपने आप में अविश्वस्त है, दुर्बल है, कायर है, कहीं भी आश्रय नहीं पा सकता । स्वर्ग के असंख्य देवता भी मन के लँगड़े को अपने पैरों पर खड़ा नहीं कर सकते ! Jain Education International - - For Private & Personal Use Only ५७ www.jainelibrary.org
SR No.003414
Book TitleAmar Vani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherSanmati Gyan Pith Agra
Publication Year1988
Total Pages194
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Discourse
File Size6 MB
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