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मनुष्य की कसौटी
आपत्ति या संकट से घबराओ नहीं। यह सब मनुष्य के खरेपन को परखने के लिए कसौटी है। और, यह याद रखना चाहिए कि कसौटी सोने के लिए होती है, लोहे या पीतल के लिए नहीं।
मनुष्य, पशु और राक्षस
जिसका जीवन संतुलित है, नियमित है, वह मनुष्य है। और जिसका जीवन सन्तुलित नहीं है, नियमित नहीं है, वह यदि अशक्त है, तो वह पशु है और सशक्त है, तो राक्षस !
मनुष्य की तीन कोटियां
जिसका हृदय पहले बोलता है और वाणी बाद में बोलती है, वह महापुरुष होता है।
जिसकी वाणी पहले बोलती है, हृदय बाद में बोलता है, वह मध्यम पुरुष होता है।
जिसकी पहले - पीछे केवल वाणी ही बोलती है, हृदय कभी नहीं बोलता, वह अधम पुरुष है।
उत्सर्ग ही महान है, वस्तु नहीं इस विराट् संसार में साधारण व्यक्ति की शक्ति अति क्षुद्र है। वह बहुत थोड़ी सेवा कर सकता है। किन्तु, जीवन की सफलता शक्ति की क्षुद्रता या विपुलता पर निर्भर नहीं है । अपनी क्षुद्र शक्ति का सम्यक् - विनियोग करनेवाला व्यक्ति सफल है, फिर चाहे वह कितनी ही अल्प क्यों न हो ? एक बूंद ने यदि किसी पिपासाकुल
अमर-वाणी
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