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है। वह अपनी सारी बुद्धि, सारी प्रतिभा अपने को ही नष्ट करने के प्रयत्न में लगा रही है। विज्ञान की तेज चाकू से प्रकृति की छाती को चीर कर भी मानव ने, आज क्या निकाला ? विष, विष और विष। वह चला था, अमृत की तलाश में ! परन्तु ले आया विष ।
शिक्षा की कसौटी
कौन मनुष्य शिक्षित है, इसकी सच्ची कसौटी यह है कि वह सच्चे अर्थों में मनुष्य बना है कि नहीं ? अपने नैतिक व्यवहार व आचरण को ऊँचा उठा पाया है या नहीं ? अपने पुराने एवं गलत दृष्टि - कोणों को बदल सका है या नहीं ? उसके आस - पास का मानब - समाज सुव्यवस्थित एवं संयत हुआ है या नहीं ? उसमें बुराई से अन्त तक लड़ते रहने का साहस है या नहीं ?
पण्डित, मूर्ख और महामूर्ख __ मूर्ख और पण्डित में क्या अन्तर है ? पण्डित पहले सोचता है और बाद में काम करता है; परन्तु मूर्ख पहले काम करता है और बाद में प्रतिकूल परिणाम आने पर सोचता है, पछताता है। और जो असफल होने पर बाद में भी नहीं सोचता, वह तो महामूर्ख है, पशु है, उसकी बात रहने दीजिए।
विचार ही मनुष्यता है और अविचार ही पशुता है । विचार ही एक ऐसी वस्तु है, जो मनुष्यता एवं पशुता का विभेद स्पष्ट करती है।
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अमर - वाणी
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