________________
नारी
भारत की नारी भारत की नारी तप और त्याग की मोहक मूर्ति है, शान्ति और संयम की जीवित प्रतिमा है। वह अन्धकार से घिरे संसार में मानवता की जगमगाती तारिका है। वह मन के कण-कण में क्षमा, दया, करुणा, सहिष्णुता और प्रेम का ठाठे मारता समुद्र लिए घूम रही है। वह विष के बदले अमृत बाँट रही है ! काँटों के बदले फूल बिछा रही है ! वह भारत की नारी है, सीता और द्रौपदी की बहिन है ?
दोष किसका?
नारी सरस्वती है ! सभ्यता के आदि युग में ब्राह्मी और सुन्दरी के रूप में उसी ने तो हमें पढ़ना सिखाया था, अ..."आ... इ.."ई.."रटाया था ! एक, दो, तीन, चार गिनना सिखाया था। भगवान् ऋषभदेव के द्वारा दिए गए लिपि तथा गणित के प्रकाश को सर्व-प्रथम उनकी सुपुत्रियों ने ही ग्रहण किया था !
आज वही नारी अज्ञान है, मूर्ख है, तो इसमें उसका दोष नहीं, दोष है पुरुषजाति का, जिसने अपना ऋण अच्छी तरह
नारी :
१४५
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org