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हम आग लगाना क्या जाने ! वह धर्म क्या, जो आग लगाता चले, छुरियाँ खट-खटाता चले ! सच्चा धर्म तो प्रेम और करुणा के अमृत-जल से घृगा और नफरत की धधकती आग को बुझाता है। सच्चे धर्मानुयायी लोगों की हृदय-वीणा से एकमात्र यही अमर स्वर झंकृत होता है
'हम आग बुझाने वाले हैं, हम आग लगाना क्या जाने ?"
धर्म का सवाल
सच्चा धर्म यह नहीं पूछता कि तुम गृहस्थ हो या साधु हो। वह तो जब भी पूछता है, यही पूछता है कि साधक ! तेरा क्रोध, तेरा अहंकार, तेरा दंभ और तेरा लोभ, कितना घटा है, कितना बढ़ा है ?
धर्म की परीक्षा
धर्म को न पुरानेपन की कसौटी पर चढ़ाओ और न नयेपन की कसौटी पर । धर्म का महत्त्व उसकी स्व - पर हितकारिणी पवित्र परम्पराओं एवं आचार-विचार में है, नये-पुरानेपन में नहीं।
धमं का लक्ष्य धर्म का लक्ष्य क्या है ? धर्म का लक्ष्य है- विकारों से मुक्ति, वासनाओं से मुक्ति । और, अन्त में परम सत्य को साधना के बल पर पाकर सदा काल के लिए जन्म - मरण के बन्धन से मुक्ति !
धर्म - साधना का लक्ष्य
क्या आपकी धर्म - साधना आपको राग - द्वेष की जहरीली
धर्म :
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