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५२ : आदर्श कन्या'
रथ हाँकने को क्यों तैयार हुए। यह सब पांडवों के शील स्वभा
का प्रभाव था ।
शीलवती कन्यायें :
प्यारी पत्रियो ! तुम्हें शील-स्वभाव का सच्चे हृदय मे आद करना चाहिए। शीलवती कन्याओं पर माता, पिता, भाई, बह आदि का बहुत अधिक प्रेम होता है । जो कन्याएँ शीलवती हैं, क्रो और घमण्ड से दूर रहती हैं, कोमल हैं, मृदुल हैं, नम्र हैं, मिलनसा
- उनका क्या घर और क्या बाहर सर्वत्र आदर होता है, साथ क सहेलियों में भी प्रतिष्ठा होती हैं। पाठशाला में तुम देख सकती कि- यदि धनी घर की लड़की घमंडी है, अकड़कर बोलती है, साथ की लडकियाँ उसका कुछ भी सम्मान नहीं रखतीं । इस विपरीत साधारण घर की लडकी भी अपने कोमल और नम्र स्वभा के कारण सबका प्रेम और आदर प्राप्त कर लेती हैं । सब लड़कि उसके कहने में चलने लगती हैं। संसार में धन का आदर नहीं, शी का आदर है ।
तुम्हारे पास अच्छे गहने और कपडे हों तो उन्हें पहन इठलाओ नहीं । यथावसर बढिया कपड़े पहन कर भी गम्भीर ब और गरीब लडकियों की कभी हॅमी मत करो । यदि कभी ग लडकियाँ तुमसे मिलें और कुछ पूछें, तो बड़े प्रेम से मिलो, आदर साथ-साथ ठीक-ठीक उत्तर दो। गरीब लड़कियों के साथ तुम जि ही अधिक सहानुभूति रक्खोगी, तुम्हारा उतना ही अधिक आहे सन्मान होगा । क्या न करो
जब कोई गरीब घर की लड़की तुम्हारे घर पर आये। उसका सब प्रकार से आदर करो, खाने-पीने के लिए अवश्य पूर्व
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