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________________ शील-स्वभाव, यह वह मन्त्र है, जिसके द्वारा इतिहास में अनेकों व्यक्तियों ने दूसरों को अपना बना लिया। इस मन्त्र को ऐतिहासिक महापुरुषों तक सीमित क्यों रहने दिया जाय ? जीवन में इसका प्रयोग करके देखिए। शील-स्वभाव शील-स्व माव, कोमल और शान्त प्रकृति को कहते हैं। इससे बढ़कर मनुष्य का कोई दूसरा सुन्दर भूषण नहीं हैं । कहा है- 'शील विरं भूषणम् ।' कोमल और शान्त प्रकृति दूसरे लोगों पर तुरन्त ही अपना प्रभाव डालती है। घमण्डी आदमी भी शील स्वभाव के सामने अपना मस्तक झुका देता है। शील-स्वभाव मनुष्य की उदारता और उच्च भावनाओं को सूचित करने वाला एक उज्ज्वल प्रतीक है। वशीकरण मंत्र : - शील-स्वभाव बड़ा अच्छा वशीकरण मंत्र है। शीलवान राह चलते भोगों को अपना मित्र बना लेता है। वह घर और बाहर भर्वत्र प्रेम एवं आदर पाता है। श्री रामचन्द्र जी को वनवास में अज्ञान वानर जाति ने क्यों सहायता दो ? वानर जाति के लाखों बोर, क्यों अपने आप रावण के विरूद्ध युद्ध में मरने को तैयार हो गए ? उiका स्वयं का क्या स्वार्थ था? रामचन्द्र जी के एकमात्र शील-स्वभाव ने ही तो उन्हें मोह लिया था। युधिष्ठर आदि पाँचों पांडवों में क्या विशेषता थी, जो भीष्म ने अपने मरने का उपाय भो उन्हें महाभारत के युद्ध में बता दिया ? श्रीकृष्ण अर्जुन का Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003413
Book TitleAdarsh Kanya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherSanmati Gyan Pith Agra
Publication Year1994
Total Pages120
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Sermon, & Conduct
File Size4 MB
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