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________________ ४८ : आदर्श कन्या .. चतुर कौन : .. पुत्रियो ! तुम्हें इस ओर बहुत बारीक लक्ष्य दखना चाहिए। तुम्हारा प्रत्येक कार्य व्यवस्थित और सुरुचिपूर्ण होना चाहिए। घर की प्रत्येक चीज यथास्थान रखनी चाहिए, ताकि जब भी, जिस भी चीज की आवश्यकता हो वह उसी समय मिल जाए । सब वस्तुओं को ठीक ठीक स्थान पर सजाकर रखने से काम में बड़ी सुविधा होती है। जिस घर में इस बात का ध्यान नहीं, वहाँ घर वालों को बड़ा कष्ट होता है। ___कौन सी चीज कहाँ रखने से कार्य में सुविधा होगी, जिस चीज की बहुत जरूरत रहती है, कौन चीज कब काम में आती है, इत्यादि बातों पर ध्यान रखकर जो स्त्री घर की चीजों को यथास्थान रखने का प्रयत्न करती है, वह चतुर स्त्री कहलाती है। व्यवस्थित बुद्धि : - कौन चीज कहाँ रखी हुई है, इस बात का स्मरण रखना अति आवश्यक है । एक चीज यहाँ पड़ी है, तो दूसरी वहाँ। एक ही चीज कल एक स्थान पर पड़ी थी, तो आज वह दूसरी ही जगह पड़ी है, और कल या परसों वहाँ भी नहीं है, इस तरह की अव्यवस्था से बड़ी हानि होती है । इसके अतिरिक्त वश्नु खोजने में एक तो श्रम बहुत अधिक करना पड़ता है, और साथ ही आवश्यक काम भी बिगड़ जाता है । यदि आवश्यकतानुसार समय पर चीज न मिले तो बताइए फिर उस चीज के संग्रह करने से लाभ ही क्या है ? अव्यवस्थित बुद्धि से कभी कार्य नहीं करना चाहिए। झंझट क्यों बढ़ती है : __ एक घर में एक बार किसी छोटे लड़के को बरं ने डंक मार दिया। उस समय घाव पर दियासलाई रगड़ने की जरूरत पड़ी। ढूढ़ते ढूढ़ते सारा घर हैरान हैं, पर दियासलाई का कहीं पता नहीं। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003413
Book TitleAdarsh Kanya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherSanmati Gyan Pith Agra
Publication Year1994
Total Pages120
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Sermon, & Conduct
File Size4 MB
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