SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 30
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ कलह के कारण प्रेम की कड़ियाँ | टूट-टूटकर गिर रही हैं। बड़े घर व अच्छे घर की बेटियों को चाहिए उन कड़ियों को जोड़ दें! प्रेम के पौधे लगाकर उजड़ी फुलवारी की शोभा बढ़ा दें! शोभा वढ़ने का आसान तरीका इस लेख से आपको मिल जायेगा। कलह दूषण है आज के भारतीय परिवार, दिन-प्रतिदिन दुर्बल और दुर्बलतर होते जा रहे हैं । आज के परिवारों की प्रेम शृंखला मजबुत नहीं रही । प्रेम की कड़ियाँ टूट-टूट कर अनुदित गिर रही हैं। पारिवारिक भावनाएँ समाप्त प्रायः होती जा रही हैं, वे पहले जले हरे-भरे फलते-फूलते हँसमुख परिवार कहाँ ? वह पुराना स्वर्गीय जीवन आज केवल स्वप्न बनकर ही तो रह गया है। वह कौन-सा रोग है, जिसके कारण हम दिन-प्रतिदिन छोजते जा रहे हैं। भारतीय परिवारों की जड़ों में कोई भयानक कीड़ा अवश्य लगा हुआ है जो इस प्रेम को खोखला कर धराशायी बनाने का प्रयत्न कर रहा है । वह रोग, वह कोड़ा और कोई नहीं, एकमात्र आपस की कलह है, जो आज हमारे सर्वनाश का कारण बन रहा है। कलह मानव जाति का सबसे बड़ा दूषण है। शान्ति आवश्यक क्यों? मनुष्य के लिए शान्ति ही सबसे बड़ा गुण है । हाँ तो, तुम कैसे Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003413
Book TitleAdarsh Kanya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherSanmati Gyan Pith Agra
Publication Year1994
Total Pages120
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Sermon, & Conduct
File Size4 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy