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________________ विनय का चमत्कार : १३० 1 भारी अन्तर है । कभी-कभी आपत्ति के समय स्त्रियों को उग्रभाव भी धारण करना पड़ता है। जब किसी दुराचारी और गुन्डे से वास्ता पड़े तो वहाँ आत्म-सम्मान की रक्षा के लिए उग्रता से काम लेना चाहिए। जैन धर्म अहिंसा और दया का बहुत बड़ा पुजारी है । वह जीवन में नम्रता व कोमलता को बहुत महत्व देता है । परन्तु : वह यह कभी नहीं कहता, कि कोई भी स्त्री, दुराचारी और असभ्य गुण्डों के साथ भी नम्रता का व्यवहार करे, उनको बाजिजी करे ।" आक्रमणकारी नीच गुण्डो को उग्रता से दण्ड देना ही चाहिए, और ऐसा दण्ड देना चाहिए, कि वे सदा के लिए सावधान हो जायें, फिर कभी किसी स्त्री से अनुचित हरकत न करें । उपसंहार : anil भारत का गौरव, जाति पर अवलम्बित है । हमारे देश की कन्याएँ, जब एक साथ ही लक्ष्मी, सरस्वती और दुर्गा का रूप धारण करेंगी, तभी देश का कल्याण होगा । भारतीय कन्याएँ, नम्रता के क्षेत्र में इतनी नम्र हों, कि घर और बाहर सर्वत्र उनकी कोमलता की सुगन्ध फैल जाय और समय पर गुण्डों के सामने इतनी कठोर भो हों, कि अत्याचारी और दुराचारी थर-थर काँपने लगें । नम्रता और वीरता का यह मधुर मिश्रण ही भारतीय नारी का युग-युगः तक कल्याण करता रहेगा । Jain Education International D For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003413
Book TitleAdarsh Kanya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherSanmati Gyan Pith Agra
Publication Year1994
Total Pages120
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Sermon, & Conduct
File Size4 MB
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