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१२ : आदर्श कन्या प्रेम को चुम्बक शक्ति! __ अभिमान बड़ी भयंकर चीज है। अपने को धनी सुन्दर, चतुर और गुणी समझना अभिमान है, और यह सारे परिवार के सुखमय जीवन को चौपट कर देता है। कन्याओं का कर्तव्य है कि अपने आप को अभिमान के रोग से बचाएँ अभिमान करने वाली लड़कियाँ हमेशा तनी रहती हैं, मुंह फुलाए रहती हैं, किसी से सीधे मुंह बोल ती भी नहीं । अभिमानी लड़कियाँ किसी से भी अपना मधुर और स्नेह का सम्बन्ध नहीं रख सकती, यह समझना कि मैं अभिमान के दबाव से सबको दबा लूंगी, बिल्कुल भूल है। आजकल किसी पर किसी का घमण्ड नहीं चलता। और तो क्या, नौकरचाकर भी व्यर्थ का अभिमान सहन नहीं कर सकते। प्रेम के द्वारा नौकर से दस काम ज्यादा कराए जा सकते हैं। डाँट और अभिमान कोई भी सहन करने को तैयार नहीं है। इसलिए कहा जाता है"प्रेम चुम्बक शक्ति है । इसके द्वारा हर इन्सान को अपने संकेत पर चलाया जा सकता है।" __ बहुत से स्त्री-पुरुष समझते हैं कि - "घर के नौकर और नौकरानी पर तो कठोर शासन करना ही चाहिए, अन्यथा वे गम्भीरता से कार्य नहीं करेंगे। यह ठीक है, नौकरों के साथ जरा गम्भीरता से काम लेना चाहिए। परन्तु यह गम्भीरता और चीज है, और लड़ना-झगड़ना दूसरी चीज है। बुद्धिमति और तेजस्वी गृह-देवियाँ का उप शब्दों प्रयोग किये बिना ही जैसा अच्छा गृह-शासन कर सकती हैं, उतना बात-बात पर लड़ने-झगड़ने और विवाद करने वाली स्त्रियो से नहीं हो सकता। नम्रता और उग्रता
नम्रता का उपदेश इसलिए नहीं है, कि तुम नम्रता करते-करते कायर और बुजदिल' बन जाओ। नम्रता और कायरता में बड़ा
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