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________________ संदर्भ : 1. (क) अमरकोष 1 / 10 / 31 (ख) स्कन्दपुराण, काशीखण्ड, गंगा सहस्रनाम, 29 वाँ अध्याय । 2. जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति 4 वक्षस्कार 3. (क) स्थानांग सूत्र 5/3 ख) समवायांग 24 वाँ समवाय । (ग) जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति 4 वक्षस्कार । (घ) निशीथसूत्र 12/42 (ङ) बृहत्कल्पसूत्र 4/32 4. (क) स्थानांग सूत्र 5/2/1 (ख) निशीथ 12 / 42 (ग) बृहत्कल्प 4/32 बहूदकतया महार्णवकल्पा 5. समुद्ररूपिणी स्वर्ग्या 6. आसां नवशतैर्युक्ता गंगा पूर्वसमुद्रगा - हारीत, 1/7 7. चोद्दसहिं सलिलासहस्सेहिं समाणा - जंबूद्वीप प्रज्ञप्ति 4 वक्षस्कार 8. स्थानांग सूत्र 5/2/1 9. मुहे वा सठि जोयणाइं अद्धजोयणं च विक्खभेणं । - जंबू. 4 वक्ष. 10. सकोसं जोयणं उव्वेहेणं । - जंबू. 4 वक्ष. 11. गंगा - सिंधुओं णं महाणईओ पवाहे साइरेगेणं चउबीसं कोसे वित्थारेणं पण्णत्ता । - सम. 24 वाँ समवाय बृहत्कल्प भाष्य टीका, 5616 स्कन्दपुराण, काशी खण्ड, 29 अध्याय 12. मंदाइणी जयगुरू, संपत्तो पउर दुत्तरागाहजलं । तओ तं अणोरपारं पलोयमाणस्स भवणगुरुणो भयवं पितेणे य समयं समारूढो णावाए । 60 प्रज्ञा से धर्म की समीक्षा Jain Education International 13. हिन्दी विश्वकोष, नागरी प्रचारिणी सभा 14. वेसालिं नगरिं वाणियगामं च नीसाए दुवालस अंतरावासे वासावासे उवागए। - कल्पसूत्र, 1 अधि. 6 क्षण 15. रायगिहं नगरं नालंदं च बहाहिरियं नीसाए चउद्दस्स अंतरावासे वासावासं उवागए । - कल्पसूत्र, 1 अधि. 6 क्षण **** द्वितीय पुष्प - चउप्पत्र महापुरिसचरियं (महावीर चरियं) For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003409
Book TitlePragna se Dharm ki Samiksha Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherVeerayatan
Publication Year2009
Total Pages204
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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