________________
9. जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति, उत्तराध्ययन 10. भगवती 9, 33. 11. वही 11, 10 12. वही, 11, 11 13. ज्ञातासूत्र 1, 1 14. वही 2, 14 15. वही 2, 1 16. पुफिया, 4 17. उत्तराध्ययन, 12 18. तए णं सेणिए रायमा कासवयं एवं वयासी-गच्छहि णं तुम णं तुम देवाणुप्पिया,
सुरभिणा गंधोदएणं निक्के हत्थपाए पक्खालेहि, सेमाए चउप्फलाए पोत्तीए मुहं बंधि त्ता मेहस्स कुमारस्स चउरंगुलवज्जे निक्खमणपाउग्गे अग्गकेसे कप्पेहि।
-ज्ञातासूत्र 1, 1 19. जमालिस्स खत्तियकुमारस्स पिया तं कासवगं एवं वयासी-तुमं देवाणुप्पिया, जमालिस्स
खत्तियकुमारस्स परेणं जत्तेणं चउरंगुलवज्जे निक्खमणपओगे अग्गकेसे पडिकप्पेहि। ........ तए णं से जमालि खत्तिय कुमारे सयमेव पंच मुठ्ठियं लोयं करेई।
– भगवती सूत्र 9, 33
160• प्रा से धर्म की समीक्षा - द्वितीय पुष्प
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org