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पतंग उड़ाई और डोरी के नीचे के सिरे में एक चाबी बाँध दी। जब पतंग की डोरी भींग गई और बादल पतंग के पास से निकले तो बादलों की विद्युत् डोरी में होकर चाबी में आ गई। चाबी के पास अंगुली लाने से करेंट (Current) की अनुभूति होने लगी। इस प्रयोग से फ्रेंकलिन ने यह सिद्ध किया कि आकाशीय विद्युत् ठीक उसी प्रकार का विद्युत् विसर्जन है जैसा कि घर्षण विद्युत् का होता है। इन दोनों में अंतर केवल इतना है कि आकाशीय विद्युत्-विसर्जन की मात्रा अधिक होती है। आकाश में बादल होने से आकाश एवं वायुमंडल विद्युन्मय हो जाता है।
इसके अतिरिक्त यह भी ज्ञात किया गया कि बिजली की चमक के मुख्य दो कारण होते हैं। पहला तो बादलों के बीच में विद्युत् विसर्जन होने से तथा दूसरा बादल और पृथ्वी के बीच में विद्युत्-विसर्जन होने से चमक पैदा होती है।
बिजली की चमक के साथ कभी-कभी हम एक गड़गड़ाहट की ध्वनि भी सुनते हैं। जब विपरीत विद्युत् युक्त दो वस्तुएँ पास-पास होती हैं तो उनमें परस्पर आकर्षण होता है। फलस्वरूप दोनों वस्तुओं के बीच में हवा में तनाव उत्पन्न हो जाता है। इस तनाव के अधिक हो जाने पर चिनगारियाँ उत्पन्न हो जाती हैं। इस क्रिया को विद्युत् निरावेश (Electric discharge) कहते हैं। इस निरावेश के कारण हवा में खलबल होने लगती है, जिसके फलस्वरूप ध्वनि उत्पन्न हो जाती है। इसी क्रिया के फलस्वरूप जब विपरीत विद्युत्-युक्त बादल आपस में पास-पास आते हैं तो चमक और गर्जन उत्पन्न होती हैं चमक और गर्जन दोनों ही साथ-साथ पैदा होते हैं, परन्तु ध्वनि का वेग प्रकाश के वेग से बहुत कम होने के कारण प्रकाश पहले दिखाई देता है, उसके कुछ देर बाद ध्वनि सुनाई देती है।
जिनमें से होकर विद्युत् सुगमतापूर्वक इधर-उधर आ-जा सके, वे वस्तुएँ विद्युत्-चालक (Cunductor) कहलाती हैं जैसे कि सभी धातुएँ, लकड़ी का कोयला, क्षार, अम्ल, मानव शरीर, पृथ्वी आदि। और जिनमें से होकर विद्युत् न बह सके, वे एबोनाइट, काँच, लाख, तेल, गंधक, चीनी, मिट्टी आदि वस्तुएँ विद्युत् के अचालक (Insulator) हैं। चालकों में पानी भी एक अच्छा चालक है, अतः पानी से भींगी हुई सभी वस्तुएँ, चाहे वे शुष्क अवस्था में विद्युत् की चालक हों या अचालक, चालक हो जाती है।
96 प्रज्ञा से धर्म की समीक्षा - द्वितीय पुष्प
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