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से पैदा होती है। हालाँकि बादल कोई ऐसी वस्तु नहीं है, जो परस्पर टकराए। वह तो एक प्रकार की भाप है, और कुछ नहीं । दूरस्थ चमकती वस्तु के सम्बन्ध में तब का साधनहीन मनुष्य कल्पना ही कर सकता था । और वह उसने की भी । वह कल्पना सही थी या गलत, यह बात दूसरी है ।
विद्युत् : विज्ञान की नजरों में
विद्युत् एक शक्ति अर्थात् ऊर्जा है। अत: उसका वास्तविक स्वरूप आधुनिक प्रत्यक्ष प्रमाणित विज्ञान की आँखों से ही देखना चाहिए।
लगभग 600 वर्ष पूर्व यूनान के दार्शनिक थेल्स ने बतलाया था कि अम्बर एक ऐसा पदार्थ है जिसे रेशम, ऊन या फलालेन से रगड़ दिया जाए तो उसमें हलकी वस्तुओं को, अर्थात् कागज के छोटे टुकड़ों व तिनकों को खींच लेने की अद्भुत आकर्षण शक्ति उत्पन्न हो जाती है। प्रयोगों द्वारा देखा गया है कि वस्तुओं को आपस में रगड़ने से वे विद्युन्मय हो जाती हैं। इस प्रकार का प्रयोग यदि काँच की छड़ को रेशम से रगड़ कर या आवनूस की छड़ को फलालेन से रगड़ कर करें, तो देखा जा सकता है कि इनमें आकर्षण का गुण उत्पन्न हो जाता है। प्लास्टिक को शिर के बालों में रगड़ कर कागज के टुकड़ों के आकर्षण का खेल तो आज जब चाहें तब देख सकते हैं। इस प्रकार गुण सर्वप्रथम अम्बर से प्राप्त हुआ था, जिसे यूनानी भाषा में 'इलैक्ट्रान ' कहते हैं। अतः इस शब्द से 'इलेक्ट्रिसिटी' शब्द का जन्म हुआ, जिसे हम संस्कृत भाषा में विद्युत् और प्रचलित हिन्दी भाषा में बिजली के नाम से पुकारते हैं। घर्षण द्वारा आकर्षण बल का समावेशन केवल अम्बर ( एम्बर) में ही नहीं, बल्कि गंधक, काँच, चमड़ा आदि अन्य वस्तुओं में भी आ जाता है। चूँकि यह विद्युत् घर्षण (रगड़) से उत्पन्न होती है, अतः इसे घर्षण विद्युत् कहते हैं।
विद्युत् दो प्रकार की है - धन (पोजेटिव) और ऋण (निगेटिव)। दोनों विद्युत् परस्पर भिन्न हैं। समान प्रकार की विद्युन्मयी वस्तुओं में परस्पर प्रतिकर्षण होता है तथा विभिन्न एवं विपरीत प्रकार की विद्युन्मयी वस्तुओं में आकर्षण ।'
आकाश की विद्युत् का ऐतिहासिक दृष्टि से सर्वप्रथम वैज्ञानिक विश्लेषण फ्रेंकलिन (सन् 1752 ई.) ने किया था। बादल छाये हुए थे, वर्षा हो रही थी, बिजली चमक रही थी। फ्रेंकलिन ने लोहे का एक नुकीला तार बाँधकर हवा में
ध्वनिवर्धक का प्रश्न हल क्यों नहीं होता? क्या विद्युत अग्नि है ? 95
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