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________________ अरिल अन्योक्त' : १३२ : षजूर । १३३ : १ विभीत । १३४ : १ विछ । बुद्धि-विलास कहुं ताल हिंताल सु वीजपूर, भल्लात - वेलि परवर बिजूर । कहुं श्रांमिलवेत जमूनि निव कररणा नारिंग अभया विभीति' दाब ईष Jain Education International क जाती फुलन्यौज सीताफल मीठे वृछ' केतगी कुंद चंपा वहु फूले करुरगा केवरा मचकुंद सु पक्क विव ॥१३२॥ | प्रामिल छुहार, ऐला अपार । जभीर वोट, हैं श्रनेक सेवतो कहु गुल व' गुला फूल्यौ नवीन, कहु कुसम फिरंगी गुल र प्रचीन । गुललाला दाऊदी हजार, १३५ : १वु । १३६ : १ कहुं । १३७ : १ अरिल only. १ कहु गुलहवास रंग वहु चंदन असोक कहु कोविदार, बंधुक वहुरि सिंगार-हार । ईहर विधि फूले बहुवृछ । वेलि, तिन मांहि भूमर मन करत केलि ॥१३६॥ परोट ॥१३३॥ जाति, कदंब - पांति । सीतल मंद सुगंध पौंन सचु पायकैं, सघन छांह मैं वैठि विहगम आयकें । नैन मंदि श्रति चैन भरे श्रव रेषिऐ, २ एला । ३ फलन्यौं । २ श्ररु । २ इह् । गुलाब, मोगराव ॥१३४॥ ३ ब्रधि । प्रकार ॥१३५॥ मनौं महा मुनि लीन वृह्ममय देषिऐ ॥ १३७॥ For Private & Personal Use Only [ २१ www.jainelibrary.org
SR No.003404
Book TitleBuddhivilas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmadhar Pathak
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1964
Total Pages214
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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