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________________ १४ ] बुद्धि-विलास दसौं दिगपालन हूं दांतन' तिनौंका धरे, सुरपुर नागपुर दौरे जात दरवर । दहसत्ति षाय रजपूतन को वाह छांह', प्राय मिलि डांड' भरि वच्यौ नाथ मुरधर ॥६५॥ जंग सुलतानै जहा' पूरव परव पाय, अरव षरव दल जोरे पर दोह पैं। 'सूरिज' भनत तहां प्रागै भयो जयसाहि, सिधुर ठिलत यौं। पिलत लोह लोह 4॥ गिद्धि' सिधि सथ्थन अघांनौं स्यंभू मथ्थन , सुवीर निज हथ्थन चलावै तीर छोह पै । मंडल कमान के वितुंड 4 लसत मनौं, ऊग्यौ है प्रचंड मारतंड विधु' कोह पै ॥६६॥ नगर उतपति वरनन दोहा छंद नगर वसायौ यक नयौ, जयस्यंघ सवाई, निसांनी जाकी सोभा जगत मैं, दसहौं दिसि छाई। ताको वरनन करनको, हुलसी मति मेरी, इंद्रपुरी हू जानियौं, ताकी है चेरी ॥७॥ कवित्त : कूरम सवाई जयस्यंघ भूप सिरोमनि, __ सुजस प्रताप जाकौ' जगत मैं छायौ है। करन-सौ दानी पांडवन-सौ क्रपांनी महा, मांनी मरजाद मेर राम-सौ सुहायौ है ॥ सोहै अंवावति की दक्षिण दिसि सांगानेरि, दोऊ वीचि सहर अनौपम वसायो है। नाम ताकौ धरयौ है स्वाई५ जयपुर, ___मानौं सुरनि ही मिलि सुरपुर-सौ रचायो है ॥८॥" ६५ : ५ दातन । ६ तिनूंका। ७ दोरे। ८ दहसति । ९ वाह। १० छाह । ११ दांड। १६: १ तहां। २.दोहै। ३ जहां। ४ भयौं। ५गिधि। ६ सिद्धि । ७ मत्थन । ८ हत्थन । ६ उग्यो। १० बिधु। १७:१उत्पत्ति । २ बर्नन । ३missing १८:१ताको। २ छायौ। ३ वक्षरण। ४ अनोपम। ५ सवाई। ६ ही। ७॥१०॥। Jain Education International For Private & Personal use only www.jainelibrary.org www.ja
SR No.003404
Book TitleBuddhivilas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmadhar Pathak
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1964
Total Pages214
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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