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________________ दोहा : चर : दोहा : सोरठा : दोहा : बुद्धि-विलास इन सिवाय पैंतीस हैं दोक्ष्यान्वय सो गर्भान्वय सम सकल किरिया गुण Jain Education International terrar faरिया सकल, वरनी अव कर्तृन्वय सात सुरिंग, जे भाषी पिता वंस सुभ कुल कहै, माता वंस तिनकै ले जो जन्म सो, क्रिया सजात्ति श्रावक के षट कर्म मैं, तजि मद हूँ दयापूर्वक सो क्रिया, समो स जिन मुद्रा घरि भांवनां, पूर्वक पारिव्राज्य किरिया यहै, तोजी है १४४७ : १ जु जाति । १४५२ : १ श्रहेत्य । श्रठतालीस । किरिया । भरिया ॥१४४५ ॥ [ १६७ जगदीस ॥१४४६ ॥ सुजाति' । कहाति ॥१४४७॥ जोरत्व । तप जु करेय । For Private & Personal Use Only ग्रहस्थत्व || १४४८ ॥ सुरिंग लेय ॥१४४६ ॥ तप वल तैं जो प्रांरणी इंद्र जु होय । सो सुरेंद्र किरिया कहिस भनि लोय ॥ १४५० ॥ चक्र रतन मुषि पावय जो रिधि राज । सो किरिया वरती है गुर सांम्राज्य ॥ १४५१॥ समोसरण श्रादिक ह्र पंच कल्याण । दे धर्मोपदेश क्रिया आर्हत्य' जांरंग ॥१४५२॥ क्षय करिकै सब कर्म कौं, रूप निरंजन तास । लोक सिषर तिष्टै सु यह, परिनिःव्रत्ति क्रियास ॥ १४५३ ॥ कर्तृन्वय जो सात क्रिया, सु पूरव पुन्य तें | प्रापति ह्वरे भ्रात, तातें साधौ धर्म जिन ॥ १४५४ ॥ साधे ते जिन धर्म, पुंन्य होत प्रति ही प्रचुर । तातें पदई पर्म, पावत इम श्रीजिन कही ॥१४५५ ॥ क्रिया ऐकसौ प्राठ कौ, कोन्हों कछुक वर्षांरग । साधौ विधिवत भवि सकल, लषि के श्रादि पुरांण ॥१४५६ ॥ श्रामैं तो चक्री भरत क्रिया श्रादि उपदेस | प्रेस दोन्हौ है सर्वानि, जे हैं श्रावक मेस ॥१४५७ ॥ www.jainelibrary.org
SR No.003404
Book TitleBuddhivilas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmadhar Pathak
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1964
Total Pages214
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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