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________________ २८] भारतीय विद्या अनुपूर्ति [तृतीय ठहरेंगे। चार रोज वहां रह कर ता. १७ रातकी गाडीसे रवाने हो कर ता. १८ रात उदयपुर पहुंचेंगे। ता. २० से सुनवाई आरंभ होगी। इसलिये हमारा अनुरोध है कि आप कृपया ता. १४ को बंबई पहुंच जांय व वहींसे हमारे साथ उदयपुर चलें। आपके रहनेसे लेख वगैरहके विषयमें हम लोगोंको विशेष सहायता मिलेगी और हमको बड़ी हिम्मत रहेगी। शेष मुलाकातमें । यहां सब कुशल आप सकुशल होंगे। आपका विनीत बहादुरसिंह - पु. नि. गये साल आप उदयपुर रहते हुए श्रीकेसरियाजीके मंदिरके लेखोंकी जो नकलें आपने ली थीं उनकी एक सेट नकल चीनुभाई सेठके मंगवाने पर हमने उनको बंबई भेज दिया है।" सिंघीजीके साथ फिर उदयपुर जाना सिंघीजीके इस पत्रकी सूचनानुसार यथासमय मैं बंबई पहुंचा । वहां वकील बेरिस्टरों आदिसे परामर्श कर और उनको साथ ले कर हम सब उदयपुर पहुंचे। चूं किउदयपुर स्टेटने इस केसकी सुनवाईके लिये एक विशिष्ट कमिशन बिठाया था और उसका प्रेसिडेन्ट एक अंग्रेज ऑफिसर मि. ट्रॅच था, इसलिये सेठ आणन्दजी कल्याणजीके प्रतिनिधियोंने सोचा कि केसकी कार्रवाई चलानेके लिये कोई अच्छा प्रसिद्ध कॉन्सल होना चाहिये। इससे उन लोगोंने सर् चिमनलाल सेतलवड जैसे सबसे बड़े प्रतिष्ठित और नामी बेरिस्टरको इस कामके लिये नियुक्त किया। इसके मुका बिले में, दिगम्बर पार्टीको भी कोई ऐसा ही प्रसिद्ध बेरिस्टर अपनी ओरसे रखना आवश्यक हुआ और इसलिये उसने मि. महम्मद अली जिन्नाको बुलाया। उदयपुर जैसे स्टेटमें ऐसे बडे बडे बेरिस्टरोंका आना और उनके द्वारा केशरियाजी तीर्थका मामला चलाया जाना-बडी हलचल पैदा करनेवाली बात थी। सूरजपोलके बहार आए हुए, फतेह मेमोरियल नामक सरकारी मुसाफर खानेमें, उपरके सब कमरे रोक लिये गये जिनमेंका आधा हिस्सा श्वेताम्बर पार्टीने और आधा हिस्सा दिगम्बर पार्टीने कब्जे किया। इधर श्वेताम्बर पार्टीने सर् सेतलवडको अपना केस तैयार करनेके लिये मददके रूपमें कुछ दो-तीन और वकील-बेरिस्टरोंको नियुक्त किया और उसी तरह दिगम्बर पार्टीने भी मि. जिनाको मदद करनेके लिये कुछ अन्य वकीलोंको नियुक्त किया। इस प्रकार बड़ी भारी तैयारीके साथ, उदयपुरके सरकारी बगीचे में स्थित विक्टोरिया मेमोरियल हॉलमें केसकी कार्रवाई शुरू हुई । स्टेटकी ओरसे नियुक्त कमिशनमें, मि. ट्रॅचके अतिरिक्त राजाधिराज बनेडा, मि. रतिलाल अंताणी और एक और सजन थे। केसके स्वरूपका परिज्ञान जब तक केसकी वास्तविक कार्रवाई शुरू नहीं हुई तब तक यह किसीको पता नहीं था कि केसका स्वरूप क्या है और उसमें किसको क्या साबित करना है ? दोनों पक्षवालोंने सोचा था कि ज्यादहसे ज्यादह ५.६ दिन केस चलेगा और एक सप्ताइके Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003403
Book TitleBhartiya Vidya Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinvijay
PublisherBharatiya Vidya Bhavan
Publication Year
Total Pages408
LanguageHindi, Sanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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