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________________ अंक १] लल्लभाटकृत सिद्धराय जेसिंघदे कवित्त [२२५ अहिं आपेलां पद्योमांथी बे पद्यो, क्रमांक १ अने ५, रत्नमन्दिरगणिनी उपदेशतरंगिणी नामे ग्रन्थकृतिमां (रचना समय सं. १५००-१५१५ ना अरसामां) पण उद्धृत थएला मळे छे. पण एमां पद्यांक १ नो कर्ता आमभट्ट अने ५ नो कर्ता कवि गद्द जणावेलो छे. कवि आमभट्टनुं बीजं पण एक पद्य एज ग्रन्थमां आपेलु छे जे तेणे कुमारपालनी स्तुतिरूपे कहेलुं छे. कवि गद्दना नामनां बीजां पण केटलांक विषयनां अन्यान्य पद्यो अमने सुभाषितसंग्रहोमां मळेलां छे, पण तेमनो कर्ता कोई बीजो अर्वाचीन कवि होय तेम लागे छे. ए पहेला पद्यमां, सिद्धपुरमां सरखतीना तीरे सिद्धराजे बंधावेला रुद्रमहालयनुं वर्णन छे जे ऐतिहासिक दृष्टिए खास उपयोगी छे. एमां, रुद्रमहालयमा स्तंभ विगेरे केटला हता तेनी संख्या बतावेली छे. ए संख्या प्रमाणे, ए महालयमां १४४४ स्तर हता, १७०० स्तंभ हता, १८०० पुत्तलीयो हती, जे हीरा माणिकथी जडेली हती. ३०००० नानामोटा ध्वजदंड हता. (उपदेशतरंगिणीना पाठ प्रमाणे वळी १०००० सुवर्णना कलश हता) १७००० हाथी अने घोडाओना आकार कोतरेला हता (उपदेशतरंगिणीमां आ संख्या ५६ कोडी जेटली आपेली छे जे अविश्वसनीय लागे तेवी छे. अथवा तो कोडीनी संज्ञा कोई सुदी ज जातनी संख्यानी वाचक होय, जेम कच्छमां २० नी संख्याने कोडी कहेवामां आवे तेम.) आ उपरथी ए रुद्रमहालय केवो भव्य अने केटलो विशाल हशे तेनी काइक कल्पना करी शकाय तेम छे. आखाय पश्चिम भारतमां अत्यारे जेटला जैन, शैव, वैष्णवादि जूना मन्दिरो विद्यमान छे तेमां विशालतानी दृष्टिए सौथी मोटें मन्दिर, मारवाडराज्यमां आवेला राणकपुर गामनुं 'धरणविहार' नामर्नु चतुर्मुख जैन मन्दिर छे. ए मन्दिरमां कहेवाय छे तेम, कुल १४४४ स्तंभो आवेला छे, ज्यारे रुद्रमहालयमा १७०० स्तंभो हता. ए उपरथी तेनी विशालतानी तुलना करी शकाय तेवी छे. अथ लल्लभाटकृत जेसिंघदे कवित्त लिख्यते। अमर कि धरिणी परिठवइ, अमर कि एसा हुँति । अमर कि नर जेसिंघ तूं, यो मनि भंजइ भ्रंति ॥१ एकदा देहरइ जोइवा चाल्यो - आ बे दंड वच्चे आपेली पंक्तियो, मूळ जूना लखेला कवित्तोना मथाळे, कोईए पाछळथी लखेली छे, तेम ज एनी भाषा पण वधारे अर्वाचीन छे, एटले कोई संग्राहके आ प्रारंभनो दूहो पाछळथी अहिं लखी दीधो लागे छे. ३.१.२९. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003403
Book TitleBhartiya Vidya Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinvijay
PublisherBharatiya Vidya Bhavan
Publication Year
Total Pages408
LanguageHindi, Sanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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