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________________ रत्नपरीक्षा कर-चरण - वयण - नयणं सुपउमरायं पइस्स जणयंती । तो वहइ पउमरायं पउमिणि सुयपउमजणणत्थं ॥ ६७ ।। अहवट्टि उड्डवट्टी तिरीयवट्टी य जा हवइ चुन्नी । सा अहमुत्तिम मज्झिम कूडा पुण सव्ववट्टी य ॥ ६८ ॥ जो मणि बहिप्पएसे मुंचइ किरणं जहग्गि गयधूमं । सा इंदकंति नेया चंदो व्व सुहावहा सघणा ॥ ६९ ॥ साणाइ पउमरायं जो छिज्जइ अंगुली छिविय कसिणा। तं च पहाउ सगब्भा चिप्पिडिया हवइ सा चुन्नी ॥ ७० ॥ ॥ इति माणिक्यपरीक्षा समत्ता ॥ अथ मरकतमणिर्यथा अवलिंद मलयपव्वय वव्वरदेसे य उवहितीरे य । गरुडस्स उरे कंठे हवंति मरगय महामणिणो ॥ ७१ ॥ गरुडोदगार पढमा कीडउठी दुईय तईय वासउती । मूगउनी य चउत्थी धूलिमराई य पण जाई ॥७२॥ गरुडोदगार रम्मा नीलामल कोमला य विसहरणा । कीडउठि सुहम णिद्धा कसिणा हेमाभकंतिल्ला ॥ ७३ ॥ वासवई य सरुक्खा नील हरिय कीरपुच्छसम णिद्धा । मूगउनी पुण कढिणा कसिणा हरियाल सुसणेहा ॥ ७४॥ धूलमराई गरुया तह कढिणा नीलकच्च सारिच्छा । मुलं-वीस विसोवा दसट्ठ तह पंच दुन्नि कमा ॥ ७५ ॥ रुक्ख विफोडा पाहण मल कक्कर जठर सज्जरस तह य । इय सत्त दोस मरगयमणीण ताणं फलं वोच्छं ॥ ७६ ॥ रुक्खा य वाहिकरणी विष्फोडा सत्थघायसंजणणी । मलिण वहिरंधयारी पाहाणी बंधुनासयरी ॥ ७७ ॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003399
Book TitleRatnaparikshadi Sapta Granth Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorThakkur Feru, Agarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1996
Total Pages206
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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