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ठकुर-फेरू-विरचित. . करयल गम्भाउ कमे दीहंगुलि नंदे पक्खिमिया । छञ्च कणिट्टिय भणिया गीवुदए तिनि नायव्वा ॥६ मज्झि महत्थंगुलिया पण दोहे पक्खिमिअ चउ चउरो । लहु अंगुलि भाय तियं नह इकिकं ति अंगुटुं ॥ ७] अंगुट्ठसहियकरयल वढें सत्तंगुलस्स वित्थारे । चरणं सोलस दीहे तयद्धि वित्थिन्न चउ उदए ॥ १२ ॥ [ एतद्गाथानन्तरं मुद्रितपुस्तके निम्नगतैका गाथा अधिका लभ्यतेगीव तह कन अंतरि खणे य वित्थारि दिवड्डु उदइ तिगं । अंचलिय अट्ट वित्थरि गद्दिय मुह जाव दीहेण ॥१ छब्भाय अहरदीहे चक्खूपण दीह अद्धपिहुलत्ते । तिन्नि सिहिण चउ नाही नासा उर नाहि सुत्तेग ॥ १३ केसंत सिहा गद्दिय पंचट्ठ कमेण अंगुलं जाण । पउमुडरेहचक्कं करचरण विहूसियं निच्चं ॥ १४ . [ मुद्रितपुस्तके एतद्गाथानन्तरं निम्नोद्धृता गाथा अधिका लभ्यन्तेनक सिरिवच्छ नाही समगन्भे बंभसुत्तु जाणेह । तत्तो अ सयलमाणं परिगरबिंबस्स नायव्वं ॥१ सिंहासणु बिंबाओ दिवडओ दीहि वित्थरे अद्धो। पिंडेण पाउ घडिओ रूवग नव अहव सत्त जुओ ॥२ उभयदिसि जक्ख-जक्खिणि केसरि गय चमर मज्झि चक्कधरी। चउदस बारस दस तिय छ भाय कमि इअ भवे दीहं ॥३ चक्कधरी गरुडंका तस्साहे धम्मचक्क उभयदिसं। हरिणजु रमणीयं गद्दियमझमि जिणचिण्हं ॥ ४ चउ कणइ दुनि छाइ बारस हस्थिहिं दुन्नि अह कणए । अड अक्खरवट्टीए एवं सीहासणस्सुदयं ॥ ५ गद्दिय-सम-वसुभाया तत्तो इगतीस चमरधारी य । तोरणसिरं दुवालस इअ उदयं पक्खवायाण ॥ ६ सोलस भाए रूवं धुमुलियसमये छहि वरालीय । इअ वित्थरि बावीसं सोलस पिंडेण पखवायं ॥७
. १ वित्थारो।
मु.पु. नास्तीय गाथा ।
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