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ठकुरफेरूविरचित ज्योतिषसार पण घडिय धणहराऽऽइम भयंकरी दह दुवालसंतकरी । विट्ठी तियघडियंतिम धण-कणयसुहंकरी जाण ॥ ३० मणु वसु मुँणि तिहि वेयाँ दह रुदै ति पुव्वयाइ अट्ठ दिसे । पढमपहराइ भद्दा पिट्टि सुहा संमुहा असुहा ॥ ३१
. ॥ इति भद्राचक्रम् ॥ गिहभूमि सत्तभायं पण दह तिहि तीस तिहि दहिक्क कमे। इय दिण संख च[उ]दिसि सिर पुंछ समंकि वच्छठिई ॥ ३२ रविचक्र कोष्ठकम्
शनिचक्र कोष्टकम् मस्तके ३ श्रीपति
मुखे १ मिष्टभोजन द० करे
लाम कंधे
स्कंधपति पादयोः विदेश परदेसी वामहस्ते
बंधन तस्कर .
हृदये हृदये
ईश्वर नाभिः अल्पतुष्ट नेत्रयोः
सौभा स्त्रीरत
मृत्यु जानुभ्यां विदेस पादयोः अल्पायु
शनिनक्षत्रात् गणनीयम्। रविनक्षत्रात् रविचक्रम् ।
जाव जन्मरिक्षम् । शनिचक्रम् ।
भुजा
हस्तयोः
लाभ पूजा
शीर्षे
गुह्ये
गुह्येः
राहुचक्र कोष्ठकम्
अशुभ
| लक्ष्मी
शुभ
गुरुचक्र कोष्टकम् मस्तके ४ राज्य दा० हस्ते कंठे
विभूति हृदये
राज्यश्री पादयोः पीडा वा हस्ते ४ मृत्यु नेत्रयोः
सुखप्राप्ति
अशुभ अशुभ शुभ অযু अशुभ
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मुख नक्षत्र पुष्फित नक्षत्र फलित नक्षत्र अफलित नक्षत्र झडित नक्षत्र गुडि नक्षत्र राजस नक्षत्र तामस नक्षत्र शुभ नक्षत्र भशुभ रिक्ष
बृहस्पतिनक्षत्रात् गणनीयम् । जाव जन्मऋक्षम्।
शुभ
अशुभ
राहुनक्षत्राद् । रेखाशुभाशुभः।
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