SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 6
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ प्रास्ताविक परिचय डाक्टर बूलर ने सन १८७५ ई० में बम्बई सरकार के लिये 'राजविनोद' नामक काव्य की एक हस्तलिखित प्रति* प्राप्त की। इस काव्य में अहमदाबाद के सुलतान महमूद बेगड़ा के जीवन चरित्र का वर्णन मिलता है । यह ऐतिहासिक काव्य अभी तक प्रकाशित नहीं हुआ है। डाक्टर बूलर ने 'संस्कृत के हस्तलिखित ग्रन्थों की रिपोर्ट (१८७४-७५) में इस काव्य को एक साहित्यिक विनोद बतलाते हुए इस प्रकार लिखा है :--"उदयराज विरचित 'राजविनोद' अथवा 'ज़र बक्स पातसाहि श्री महमूद सुरत्राणचरित्र', जिसमें अहमदाबाद के सुलतान महमूद बेगड़ा का जीवन-चरित्र वर्णित है, एक विशुद्ध साहित्यिक विनोद है । प्रयागदास के पुत्र और रामदास के शिष्य उदयराज ने महमूद की प्रशंसा करते हुए उसको महान् पराक्रमी, प्रतापी और हिन्दू धर्म * प्रति सं० १८ । १८७४-७५ ई० (भा० ओ० रि० इ०) + बेगड़ा का जन्म १४४५ ई० में हुआ था। उसका नाम फ़तहखाँ था । वह १४५८ से १५११ ई० तक ५३ वर्ष गुजरात का सुलतान रहा । उसके समय की कुछ मुख्य मुख्य घटनायें इस प्रकार हैं:-- १४६७-७० ई० जूनागढ़ का युद्ध । १४७२ ई० कच्छ और सिन्ध पर आक्रमण । १४७३ ई० द्वारका पर अधिकार; मन्दिर का तोड़ना । १४६५ ई० महमूद द्वारा बहरोट, पारनेर के किलों और दम्मन के बन्दरगाह पर अधिकार करने के लिये सेना भेजना । महमूद के सेनानायक अल्पखान द्वारा संजान की पारसी बस्ती का ध्वंसं (१४६५ अथवा १४६१ ई०) । १४७६ ई० वातरक पर महमूदाबाद का बसाना । रानपूर विजय। १४८२-८४ ई० चम्पानेर की लड़ाई । पावागढ़ का २० महीने तक घेरा। १४८४ ई० (नवम्बर) पावागढ़ पर आक्रमण और विजय । १४६१-६४ ई० बहमनी राज्य के बहादुर गिलानी द्वारा गुजरात के समुद्री किनारे पर हमले। गिलानी को पराजित करके मार डाला गया। १५०८ ई० खान देश के तख्त पर महमूद द्वारा अपने आदमी को बिठाना । - १५०८-६ ई० चौल और दीव पर पुर्तगालियों से झगड़ा । १५११ ई० (२३ नवम्बर) महमूद की ६७ वर्ष की अवस्था में मृत्यु । उसकी मृत्यु के थोड़ी ही देर पहले महमुद को दिल्लीश्वर की ओर से भेंट प्राप्त हुई। (पृ० २०७) । - (कोमिसरियट-History of Gujrat, Vol. I (1938) P. 130) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003398
Book TitleRajvinod Mahakavyam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdayraj Mahakavi, Gopalnarayan Bahura
PublisherRajasthan Puratattvanveshan Mandir
Publication Year1956
Total Pages80
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy