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________________ २६] राजविनोद महाकाव्य जाय, यदि उसके पुत्र न हो तो जागीर का आधा भाग उसकी पुत्री को दे दिया जाय, यदि पुत्री भी न हो तो उसके आश्रितों के लिये ऐसा प्रबन्ध कर दिया जाय कि उनको जीवन-यापन में किसी प्रकार का कष्ट न मिले। कहते हैं कि एक बार एक मनुष्य ने आकर कहा कि अमुक अमीर मर गया है और उसका पुत्र उस पद के योग्य नहीं है । सुलतान ने कहा कि वह पद उस लड़के को अपने योग्य बना लेगा । इसके बाद ऐसी बातों में किसी को कुछ कहने का साहस न पड़ा । इस सुलतान के समय में प्रजा सुखी थी इसका कारण यह था कि अकारण ही अत्याचार करके किसी जागीरदार को जागीर नहीं छोनी जाती थी और सरकार द्वारा निश्चित लगान ही ले लिया जाता था । जब सुलतान महमूद शहीद के समय में कार्यकर्ता मन्त्रियों ने देश की उपज की तपास को तो ज्ञात हुआ कि उस समय देश में पहले से दशगुनी उपज अधिक होने लगी थी और ias में कोई भी किसान निर्धन नहीं था । व्यापारियों को लुटेरों की कोई चिन्ता न थी क्योंकि व्यापार के सभी मार्ग सुरक्षित थे और सुलतान के राज्य में चोर की उत्पत्ति ही न होती थी । साधु-सन्त शांन्ति से रहते थे क्योंकि सुलतान स्वयं इस मान्यवर्ग का शिष्य एवं भक्त था। वह प्रति वर्ष इनकी जागीरें बढ़ाता रहता था और इसके अतिरिक्त भी सन्तों की इच्छानुसार उन्हें अनुदान दिया करता था । यात्रियों के लिये उसने बड़ी-बड़ी धर्मशालाएं बनवाई और स्वर्ग के समान सुन्दर पाठशालाओं तथा मसजिदों का निर्माण कराया । सुलतान बड़ा न्यायी था और उसके राज्य म किसी को हानि पहुंचाने का किसी का साहस न होता था। उसके विषय में एक कविता में लिखा है कि "अपराधियों पर तुम्हारा ऐसा आतङ्क छाया हुआ है कि कोई कबूतर पकड़ने के लिये बाज नहीं छोड़ सकता है" । छोटे बड़े सभी वर्गों के लोगों का मत है कि महमूद बेगड़ा जैसा बादशाह गुजरात में पहले नहीं हुआ और न्याय में तो उस के बाद भी कोई समानता न कर सका। उसने जूनागढ़ का किला, सोरठ देश, चांपानेर का किला तथा और आसपास के प्रदेशों को जीतकर वहाँ पर हिन्दू रीति-रिवाजों को नष्ट कर दिया और इसलामी रीति-रिवाजों को प्रचलित किया, इसलिये कयामत तक जो भी कार्य इन प्रदेशों में होंगे वे उसी के नाम लिखे जावेंगे। उसका पौत्र बहादुरशाह यद्यपि देश जीतने में उससे बढ़ कर हुआ तथापि अनुभव में वह सुलतान महमूद को नहीं पा सकता था । सुलतान तो इन दोनों ही बातों में बढ़ कर था । "युवा प्रतिभाशाली और भाग्यवान् वह ऐसा था कि वैभव में युवक और युक्ति प्रयुक्ति में प्रौढ़ था ।" "जिस समय यह सुलतान यहां राज्य करता था उसी ममय खुरासान में 'सुनसान हुन मिर्जा राज्य करता था और बेनमुन बजोर मोरअली उसके प्रधान मंत्री Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003398
Book TitleRajvinod Mahakavyam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdayraj Mahakavi, Gopalnarayan Bahura
PublisherRajasthan Puratattvanveshan Mandir
Publication Year1956
Total Pages80
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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