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________________ १२] राजविनोद महाकाव्य हिजरी सन् ७६३ (१३६१ ई०) में यह खबर आई कि गुजरात के सूबेदार मुकर्रर खाँ ने जो रास्ती ला के नाम से प्रसिद्ध था, बलवा कर दिया। उसी वर्ष के रवीउलअम्बल महीने की दूसरी तारीख को सुलतान मोहम्मद ने जफर खाँ को एक लाल तम्बू बल्शीश किया और निजाम मुकर्रर खां को दण्ड देने के लिए गुजरात को तरफ़ भेजा। उसी महीने की चौथी तारीख को सुलतान मोहम्मद जफर खां को विदा करने के लिए होजसास पर गया और उसके पुत्र तातार खाँ को अपने पास रखकर पुत्रवत् पालन करने का वचन दिया। हिजरी सन् ७९४ (१३६२ ई०) में सनहुमन नामक ग्राम के पास जफ़र खाँ और मुकर्रर की मुठभेड़ हुई और इस लड़ाई में जफरखा विजयी हुआ।निजाम युद्ध में मारा गया और जफ़र ने पाटण में प्रवेश किया। ___ सन् ७६५ हिजरी में खान खम्भात' की तरफ़ गया और मुसलमानी रीतिक अनुसार गुजरात को अपने आधीन कर लिया। हिजरी सन् ८०६ (ई० स० १४०३) में मुजफ्फरशाह ने तातार खां को गद्दी सौंप दी और उसको नासिरउद्दीन मोहम्मद शाह की पदवी धारण कराई। वह स्वयं आशावल कसबेमें आकर रहने लगा और सब झंझट छोड़ दिया। सुलतान मोहम्मदशाह इसी वर्ष के जमादिउल आखिर महीने में आशावल कसबे में तख्त पर बैठा । एक सप्ताह बाद ही उसने नांदोलने के हिंदुओं पर चढ़ाई को और उनको हराया। फिर, उसने अपने लश्कर को साथ लेकर दिल्ली की ओर कूच किया। यह खबर सुनकर इकबाल खां के मन में बहुत संताप उत्पन्न हुआ । परन्तु शमबान (१) समुद्गिरन् कच्छमहीषु येन डिण्डीरपाण्डूनि यशांसि खड्गः । स्फूर्जद्विषच्छोणितपङ्कलिप्तः प्रक्षालित: पश्चिमवारिराशौ ।।३।। रा० वि० सर्ग २ (२) यस्य प्रसिद्धैर्द्विरदविभिन्नप्राकारसौधस्फुरदट्टमालाः । ___ अद्याप्यहो नन्दपदाधिनाथा भल्लूकवत् पल्लिवने भ्रमन्ति ।।६।। रा० वि० सर्ग २ । (३) तवारीख मोहम्मदशाही में लिखा है कि फीरोजशाह के पुत्र सुल्तान मोहम्मद की मृत्यु के बाद दिल्ली में एक बड़ा विद्रोह हुआ । प्रत्येक विद्रोही सरदार दिल्ली का तख्त प्राप्त करना चाहता था । ...' इसी बीच में दिल्ली का राज्य कार्यभार एक वकील (प्रतिनिधि) के रूप में इकबाल खाँ के हाथ में आया । उस समय तातार खां पानीपत में था उसको जीतने के लिए इकबाल खां पानीपत को रवाना हुआ । तातार खाँ अपना सब सामान किले में रखकर लड़ाई के लिए तैयार हुआ और दिल्ली में घेरा डाला । तीसरे दिन इकबाल खाँ ने पानीपत का किला जीतकर तातार खाँ के सामान पर अधिकार कर लिया । तातार खाँ ने गुजरात से लश्कर लाकर दिल्ली पर चढ़ाई करने का इरादा किया इसलिए वह अपने बाप से आकर मिला । इकबाल खाँ का वैर और दिल्ली का तख्त उसके मन से दूर न हुए । इकबाल खाँ भी उससे सशङ्क रहता था । निम्नांकित पद्य में सम्भवतः मल्लखान से इकबालखां का ही तात्पर्य है:-- Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003398
Book TitleRajvinod Mahakavyam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdayraj Mahakavi, Gopalnarayan Bahura
PublisherRajasthan Puratattvanveshan Mandir
Publication Year1956
Total Pages80
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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