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राजविनोद महाकाव्य उदयराजकृत राजविनोद
दोहाद का शिलालेख १---काव्य पद्यात्मक है।
१--लेख पद्यात्मक है । २---काव्य की भाषा संस्कृत है।
२--लेख संस्कृत भाषा में है।
३--काव्य की हस्तलिखित प्रति डा. बलर ने ३-लेख बड़ौदा से उत्तर-पूर्व में ७७ मील पर गुजरात में प्राप्त की।
दोहाद में प्राप्त हुआ। ४--राजविनोद की हस्तलिखित प्रति में ४-शिलालेख विक्रम सम्वत् १५४५ शक
सन सम्वत नहीं दिया हआ है परन्तु लेख सम्वत् १४१० (२४ आपरेल, १४८८ व पृष्ठ मात्रा के आधार पर १५०० और ई०) का लिखा हुआ है। १६०० ई० के बीच की लिखी ज्ञात होती है ।
५--राजविनोद महमूद बेगडा के शासन- ५-शिलालेख भी महमूद बेगडा के शासन
काल (१४५८ से १५११ ई.) में ही काल में ही उसके राज्यारोहण के समय रचा गया था । अथवा, जैसे कि ऊपर से लगभग ३० वर्ष बाद १४८८ ई० में अनुमान लगाया गया है १४६३ से लिखा गया था। १४६६ के बीच में लिखा गया था।
६-राजविनोद सरस्वती वन्दना से आरम्भ ६-शिलालेख भी काश्मीरवासिनीदेवी अर्थात्
होता है। प्रथम सर्ग को सुरेन्द्र सरस्वती- सरस्वती की वन्दना से प्रारम्भ होता है । सम्वाद नाम दिया गया है। वास्तव में, (डा० साँकलिया का नोट एपि० इंडिका सम्पूर्ण काव्य ही सरस्वती के द्वारा जन० १६३८ पृ० २१३) । अभिगीत है । 'महमूदपातसाहेः अभि- डा० सांकलिया का कथन है कि यह देवी नववर्णने प्रसक्ता सरस्वती सरसपदानि ब्राह्मी अथवा सरस्वती प्रतीत होती है । व्यतानीत् ॥३२॥ स० ४।।
राजविनोद में भी सरस्वती को 'बाह्मि' नाम से सम्बोधित किया है । (पद्य २ सर्ग २रा)
७-राजविनोद में दिया हुआ बेगड़ा का ७--शिलालेख में दिया हुआ वंशानुक्रम भी वंशानुक्रम इस प्रकार है:
इस प्रकार है:-- मुदफ्फर, महम्मद, (१) अहम्मद, मह
मुदाफर, महंमद, (१) अहंमद, महम्मद,
(२) महमूद। म्मद, (२) महमूद ।
यह वंशानुक्रम भी मस्लिम इतिहास यह बंशानुक्रम मुसलमान इतिहासकारों
कारों द्वारा दिये हुये वंशानुक्रम से के आधार से भिन्न है।
भिन्न है। ८--राजविनोद के दूसरे सर्ग के ३० पद्यों ५-शिलालेख में कुल २६ पद्य हैं जिनमें से
में महमूद के पूर्वजों के पराक्रम का वर्णन पहले ६ पद्यों में तो महमूद के पूर्वजों
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