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________________ मत्स्य प्रदेश की हिन्दी साहित्य को देन ७० ७७ नप बजेस के देस को, बासी है द्विजराम । ताकर पुर हरिपुर सदृश, अति' 'मतिवंत ।' तहां राज राजत सदा, बेठयो नृप बलवंत ।। कवि ने बताया है कि सिनसिनी गांव में सिंसिनवार वीर जाट रहते थे। इनके आदि पुरुष मकन्न थे और फिर वंश-परम्परा इस प्रकार चली मकन्न, पृथ्वी, पृथ्वीराज, सुदराज, मह, षांन, ब्रजराज, भावसिंह, बदनेस, सुजान, जवाहर, रणजीत, बलदेव, बलवंत । यह सम्पूर्ण पुस्तक ७८ पत्रों की है जिसमें से २४ पत्र प्रथम सर्ग में लिए गए हैं। इस सर्ग में राजा की वंशावली, उसके नगर का वर्णन, किला, फौज, परिवार, साथी, दरबार आदि का वर्णन है । इस पुस्तक से उस समय की अनेक बातों की जानकारी होती है। दो एक वर्णन देखें। ब्रजेस के शहर का वर्णन अब व्रजेस के सहर की, सौभा वरनी न जाय । मानों तन रितुराज धरि, बसत भरतपुर प्राय ।। किले का वर्णन पुर के चारहुं ओर कौ, राजत कोट उतंग । ताहि विलोकत अरिन कौं, होत मान मन भंग ।। नाम भी बहुत बताए हैं। राजा के सेनापति का नाम गोवर्द्धन बताया गया है। साथ ही तलवार, घोड़े, हाथी आदि का वर्णन है। पुस्तक के शेष ५४ पृष्ठों में छंदों की व्याख्या, उनके लक्षण तथा उदाहरणों सहित, की गई है। ३ शृंगारतिलक- इसके रचयिता व्रजचंद हैं। इस पुस्तक का आधार कालिदास का शृंगारतिलक है । कवि स्वयं कहता है पंडित कविन मत्त देषि कवि कलिदास , ढुंढि हुंढि लाय सब ग्रंथन को सार है। तरुनी प्रवीनन के भेद बहु भांति जानि, फेरि प्रगटायौ यह सूक्षम अपार है। • कवि ब्राह्मण था और बलवंतसिंह के राज्य का ही निवासी था। संभवतः कवि भरतपुर में ही रहता था जिसे वह विष्णुलोक के सदृश बता रहा है। २ इसके पश्चात् इस प्रकार बलवंत-जसवंतसिंह-रामसिंह-कृष्णसिंह-ब्रजेंद्रसिंह (वर्तमान भरतपुराधीश) । 3 'श्री ब्रजपति की चमूपति गोर्वद्धन अति वीर।' Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003396
Book TitleMatsyapradesh ki Hindi Sahitya ko Den
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMotilal Gupt
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1962
Total Pages320
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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