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________________ ४२ अध्याय २ -रीति-काव्य कवि ने ऊपर लिखो सभी पुस्तकों का मनन और अनुशीलन किया था, इसमें कुछ भी संदेह नहीं । भरत, मम्मट, विश्वनाथ, अभिनवगुप्त आदि चोटी के प्राचार्यों के विचार देते हुए रस का निरूपण किया गया है। ये पुस्तकें साहित्य-क्षेत्र में अाज भी प्रामाणिक मानी जाती हैं। कहीं-कहीं कठिन प्रसंगों को प्रश्नोत्तर के रूप में भी समझाया गया है । काव्य शास्त्र का ज्ञान कराने के लिए यह पुस्तक बहुत ही उपयोगी है। __ ये महानुभाव सुनी हुई बातों से ही संतोष नहीं करते थे। स्थान-स्थान पर इनकी बुद्धि का पूर्ण उपयोग देखा जाता है, और कहीं-कहीं मत-प्रतिपादन में विचित्र उक्तियां भी दी हैं। शृंगार के रसराजत्व का प्रतिपादन गोविंदजी इन शब्दों में करते हैंशृंगार लक्षणं _ 'शग' कहिये 'मुष्य' ता 'पार' कहिये 'प्राप्ति' मुष्यता प्राप्ति जाहि सब रसादिकनि में होइ सो शृगार । सो दुबिंध...............संयोग, वियोग............इसी प्रकार से अथ संजोग लक्षण बिलासी जाहि अबलंव्य करिके परसपर सेवन करै सो संयोग। नाइका नायक परसपर प्रालंबन । चन्द्र चंदन कुहू सन्दादि उद्दीपन । भू विक्षेप कटाक्षादि अनुभाव । आलस चिता लज्जा निद्रा उत्कंठा हर्षादिक संचारी भाव । रति स्थायी भाव । स्याम वर्ण । श्रीकृष्ण देवता । सवैया सखीन के पाछे अलापन तें उह कुंज मैं क्यों हू गई सुषदैन । विलोक पिया रसिया को नई दुलही सुभई भय चकृत नैन । लष्यौ पुनि त्यौं अपने तनकौं अति गाडै गुविंद रह यौ रस तैन । बिलज्जित ह वै कै तब रस कूजित कूजन को लगी कोमल बैन । इहां नायका विषयालंबन-कुंज उद्दीपन - रति कूजित अनभाव - लज्जा त्रास संचारी भाव । रति-स्थायी भाव । इसके अतिरिक्त कवि ने लाल, कासीराम, सिरोमन, सोमनाथ, किशोर, सेनापति, घनस्याम, कवित्त 'काहू को' आदि के उदाहरण देकर अपने भाव का स्पष्टीकरण किया है। यह ग्रंथ परम विलक्षण है, क्योंकि इतना सुंदर और विद्वतापूर्ण समाधान तथा तुलनात्मक विश्लेषण जिसमें संस्कृत कवियों का प्राचायत्व तथा हिन्दी कवियों का कवित्व मिश्रित है, अन्यत्र मिलना संभव नहीं। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003396
Book TitleMatsyapradesh ki Hindi Sahitya ko Den
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMotilal Gupt
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1962
Total Pages320
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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