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________________ मत्स्य प्रदेश की हिन्दी साहित्य को देन १३ से अवश्य ही न बच सकी और मत्स्य- प्रदेश में भी यह प्रभाव देखा जाता है । इस प्रदेश के ये चार राज्य, जाट और राजपूतों के हैं- भरतपुर में सिनसिनवार जाट, धौलपुर में बमरावलिया जाट, अलवर में सूर्यवंशी कछवाहे तथा करौली में यादववंशी राजपूत । मत्स्य - प्रदेश का जो तथा कई अन्य पुराणों में मिलता है उसके आधार पर इन एक विचित्र श्रृंखला मिलती है । ' वर्णन महाभारत राज्य - परिवारों में राजा उपरिचर भारत के प्रसिद्ध सम्राट हुए हैं । इनकी राजधानी चंदेरी थी । इनके पांच पुत्रों में बड़े बृहद्रथ मगध देश के राजा हुए । कुशाम्ब कौशाम्बी के राजा हुए और मत्सिल 'मत्स्य' ढुंढार देश के अधिपति हुए । प्रत्यग्रह और कुरु दो अन्य पुत्र थे । जब राजा मत्सिल ढुंढार देश के राजा होकर प्राये तो उन्होंने अपने नाम से इस ढुंढार देश को 'मत्स्य देश' के नाम से प्रसिद्ध किया और मत्स्यपुरी नाम का नगर बसाया । यह नगर आज भी राजगढ़ तहसील, जिला अलवर में माचाड़ी नाम से स्थित है । यही स्थान अलवर के राजाओं की पुरानी बैठक है। आज भी वह स्थान देखा जा सकता है राजा मत्सिल के समय में इस नगर में बौधेय, पौण्ड्रव, बच्छल आदि जातियां बसती थीं । प्राचीन तंत्र ग्रन्थों में आजकल के जयपुर - अलवर राज्यों को मत्स्य देश के ही अंतर्गत माना गया है । राजा मत्सिल ने यमुना और सतलज के मध्यवर्ती प्रान्त पर भी अपना अधिकार कर लिया और सतलज के तट पर 'मत्स्यवाट' नामक नगर बसाया, जिसे अब 'माच्छीबाड़ा' कहते हैं । कुछ लोग वर्तमान 'मस्लीपट्टन' का सम्बन्ध 'मत्स्यपत्तनम्' से स्थापित करते हैं । इस प्रान्त में जो स्थान पाये जाते हैं, जैसे पाण्डुपोल, उनसे स्वतः सिद्ध है कि विराट राजा का राज्य यहीं कहीं था और पांडवों का अज्ञातवास मत्स्य में ही हुआ । इस प्रदेश के राज्यों में एक और घनिष्ठ सम्बन्ध भी उपलब्ध हुआ है । * राजा धर्मपाल यादव की तेरहवीं पीढ़ी में राजा तहनपाल हुए थे । राजा १ मत्स्य - इतिहास द्वारा प्रस्तुत 'मत्स्य का इतिहास' नामक अप्रकाशित पुस्तक के आधार पर । મ भागवत में इन्हें चेदि देश का ही राजा बताया गया है । 3 महाभारत श्रादि पर्व, अध्याय ६४, श्लोक ४५१ से पाया जाता है कि इन भाइयों ने अपने-अपने नाम पर भिन्न-भिन्न नगर बसाये । जनरल कनिंघम : बयाना राजवंश की खोज । ५ खीचियों के जागा मूकजी की बही के आधार पर । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003396
Book TitleMatsyapradesh ki Hindi Sahitya ko Den
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMotilal Gupt
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1962
Total Pages320
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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