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________________ ४ श्रध्याय १ - पृष्ठभूमि भरतपुर के अन्तर्गत बयाना, कुम्हेर और डीग तो बहुत पुराने बताये जाते हैं, तथा सिनसिनी' को कुछ लोग 'शौरसेनी' से सम्बन्धित करते हैं। राज्य की स्थापना बदनसिंहजी द्वारा संवत् १७७५ में हुई, जब उन्होंने डीग को अपनी राजधानी बनाया । इन्हीं के द्वारा कुम्हेर का शिलान्यास हुआ । अपने बड़े लड़के सूरजमल को डीग का और दूसरे लड़के प्रतापसिंह को वैर का शासक बनाया | बदनसिंहजी के ये दोनों ही पुत्र बड़े साहित्यिक प्रौर विद्या- पारखी थे और अनेक कवि तथा विद्वानों को इनके यहां आश्रय मिला । बदनसिंहजी के उपरान्त इनके पुत्र सूरजमल या सुजानसिंह गद्दी पर बैठे । सन् १७३२ में सूरजमलजी द्वारा भरतपुर को राज्य में मिलाया गया । तब तक यहां खेमकरण सोर्गारिया का श्राधिपत्य था । भरतपुर जीतने के बाद राज्य का विकास होता रहा । प्रसिद्ध साहित्यिक रानी किशोरी इनकी ही पत्नी थी । " सूरजमलजी ने बहुत से युद्ध किये और युद्धभूमि में ही वीर गति प्राप्त की । इनके पुत्र जवाहरसिंह १८२० से १८२५ ई. तक राजा रहे। दिल्ली की चढ़ाई और वहां की विजय इन्हीं के द्वारा हुई । जवाहरसिंहजी के पश्चात् माधौसिंह और फिर दुर्जनसिंह गद्दी पर बैठे, किन्तु श्रगले प्रसिद्ध राजा रणजीतसिंह हुए, जो संवत् १८३४ से १८६२ तक राजा रहे। इनके पुत्र रणधीर सिंह ने १८८० तक राज्य किया । इनके पश्चात् बलदेवसिंह राजा हुये, जो स्वयं एक प्रसिद्ध कवि थे। केवल तीन वर्ष राज्य करने के बाद इनके पुत्र बलवंतसिंह संवत् १८५२ से १६०६ तक राजा रहे। तदनंतर प्रसिद्ध नीति- विशारद जसवंतसिंह हुये, जिन्होंने पूरे ४० वर्ष राज्य किया । हमारा काल यहीं तक चलता है । इनके पुत्र रामसिंह, फिर कृष्णसिंह और वर्तमान महाराजा ब्रजेन्द्रसिंह इस वंश में राजा हुये । * १३ धौलपुर - यह दूसरी जाट रियासत है । इसका कुछ प्राचीन इतिहास भो मिलता है । सन् ७६२ से १६६४ तक यहां तोमर राजपूत १ सिनसिनी के जाट ही भरतपुर के राजा बने । ये सिनसिनवार कहलाते हैं । २ ठाकुर देशराज, 'जाट जाति का इतिहास' । ४ 3 पंडित गोकुलचन्द्र दीक्षित, 'ब्रजेन्द्र वंशभास्कर' । भरतपुर के इतिहास में कवियों के प्रसिद्ध श्राश्रयदाता । इनके समय में मौलिक तथा अनूदित सभी प्रकार की कृतियां प्रस्तुत हुईं। अनेक प्रसिद्ध ग्रन्थ भी लिपिबद्ध कराये गये । ५ वर्तमान नरेश काव्य-प्रेमी हैं, इनकी पैलेस लाइब्र ेरी में कुछ सुन्दर साहित्यिक सामग्री है । ६ इम्पीरियल गजेटीयर प्रॉव इण्डिया, जिल्द ११ । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003396
Book TitleMatsyapradesh ki Hindi Sahitya ko Den
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMotilal Gupt
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1962
Total Pages320
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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