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________________ 15 $358). ३९१-४०३] श्रीतरुणप्रभाचार्यकृत १०९ छव्वीसं कोडीओ पयाण पुव्वे कल्लाणनामंमि' ११ । पाणावाए कोडी छप्पनलक्खेहिं संखाया १२ ॥ [३९१] नव कोडीओ संखा किरियविसालंमि वन्निया गुरुणा १३ । अद्धत्तेरस लक्खा पयसंखा बिंदुसारंमि १४ ॥ [३९२] चतुर्दशपूर्वपदप्रमाणु आगमगाथा करी भणिउं, परं आम्नाय तणा विच्छेदइतउ पदस्वरूपु सम्यग् । जाणियइं नहीं। $358) अथ प्रस्तावइतउ जेह सिद्धांत माहि जु अर्यु भणिउ छइ सु अथु सामान्यहिं सिद्धांतगाथां करी लिखियइ आयार विणय गोयर सिक्खा भासाण चरणकरणाणं । निद्दिट्टा वित्तीओ पढमंमि मुणीण अंगमि ॥ [३९३] 10 पहिलइ अंगि आचारनामकि मुणीण मुनिसंबंधिनी आचार विनय गोचर शिक्षा भाषा चरणकरण एतलां सवहीं तणी वृत्ति व्यापार कही छई । सुइजइ सूयगडे जीवाजीवाइ लोगचरणाई । ससमय-परसमयाई संखिजाओ निजुत्तीओ। [३९४ ] ठाणेणं ठाविजइ ससमय परसमय लोगजीवाई । कूडा कुंडा सेला वक्खारा आगरा सरिया ॥ [३९५] समवाएणं जीवाजीवा लोगा य पन्नविजंति । तह सुयखंधुद्देसग कालज्झयणाइ चरणाई ॥ [३९६] वायरणसहस्साई छत्तीसं हुंति पंचम सुयंगे । संखिजा संगहणक्खराई तह चरणकरणाई ॥ [३९७] 20 नायाधम्मकहाए नगरुजाणाइ चेइयवणाई। राया अम्मापियरो समोसरणं धम्मआयरिओ ॥ धम्मकहोभयलोगड्डि वनणं भोगचाय पवजा । : सुयगहणं तवकरणं संलेहानियमगहणं च ॥ [३९९] पायवोक्गमणं सुकुलुप्पाओ सुबोहिय बलत्तं । वीसपयाणमिमाणं दसधम्मकहाण वग्ग त्ति ॥ [४००] दसवग्ग निबद्धाए तत्थिकिकाइ धम्मसुकहाए । पंचसयाई अक्खाइयाणमिह हुंति नियमेणं ॥ [४०१] इक्किकाए अक्खाइयाइ बहुधम्मकह निबद्धाए। पंचसयाई अक्खाइयाण भणियाई पत्तेयं । [४०२] 30 उभयाणं पि तहच्चिय इकिक्काए उ पंच उ सयाणि । हवइ य कहाण कोडी सयं च कोडीण पणवीसं ॥ [४०३] [३९८] 25 B. Bh. कलाण-। 358) 1 B. Bh. कुंडा। 2 B. Bh, लोग-। 3 B. Bh. 8357) 1 पायबहुलो-। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003394
Book TitleShadavashyaka Banav Bodh Vrutti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrabodh Bechardas Pandit
PublisherBharatiya Vidya Bhavan
Publication Year1976
Total Pages372
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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