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________________ २५ $63-565 ). १०१] श्रीतरुणप्रभाचार्यकृत स्वयंप्रभु स्वा मि इसइ नामि तीर्थकरु विहरइ। ६। तथा पूर्व विदेह तणइ दक्षिणार्द्धि कालोदसमुद्र समीपि नवमउ वत्सु इसइ नामि विजउ तिहां सुसीमा इसइ नामि नगरी तिहां श्री ऋषभाननस्वामि इसइ नामि तीर्थकरु विहरइ। ७ । अवरविदेह तणइ दक्षिणार्द्धि लवणसमुद्र परपार समीपि चउवीसमउ नलिणावती नामि विजउ तिहां अयोध्या नामि नगरी तिहां श्री अनंतवीर्यस्वामि इसइ नामि तीर्थंकरु विहरइ । ८ । तथा पश्चिम महाविदेह तणइ पूर्वविदेहि उत्तरार्द्धि लवणसमुद्र परपार समीपि आठमउ पुष्कलावती नामि विजउ तिहां पुंडरीकिणी नामि नगरि तिहां श्री सूरप्रभस्वामि इसइ नामि तीर्थंकरु विहरइ । ९ । तथा अवरविदेह तणइ उत्तरार्द्धि कालोदसमुद्र समीपि पंचवीसमउ वा इसइ नामि विजउ तिहां विजया नामि नगरी तिहां श्री विशालस्वामि इसइ नामि तीर्थकरु विहरइ । १० । 863) तथा पूर्व विदेह तणइ दक्षिणार्द्धि लवणसमुद्र परपार समीपि नवमउ वत्सु इसइ ' नामि विजउ तिहां सुसीमा नामि नगरी तिहां श्री वज्रधरस्वामि इसइ नामि तीर्थंकरु विहरइ । 10 ११। तथा अवरविदेह तणइ दक्षिणार्द्धि कालोदसमुद्र समीपि चउवीसमउ नलिणावती नामि विजउ तिहां अयोध्या नामि नगरी तिहां श्री चंद्राननस्वामी इसइ नामि तीर्थकरु विहरइ । १२ । तथा पुष्करवर द्वीपार्द्ध माहि बि महाविदेह छई । एकु पूर्व दिसि एकु पश्चिम दिसि । तत्र पूर्वमहाविदेह तणइ उत्तरार्द्धि मानुषोत्तर पर्वत समीपि आठमउ पुष्कलावती नामि विजउ तिहां पुंडरीकिणी नामि नगरी तिहां श्री चंद्रवाहुस्वामि इसइ नामि तीर्थकरु विहरइ । १३ । तथा अवर 15 विदेह तणइ उत्तरार्द्ध कालोदसमुद्र परपार समीपि पंचवीसमउ वा इसइ नामि विजउ तिहां विजया नामि नगरी तिहां श्री भुजगस्वामि इसइ नामि तीर्थंकरु विहरइ । १४ । तथा पूर्वविदेह तणइ दक्षिणार्द्धि मानुषोत्तरु पर्वतसमीपि नवमउ वत्सु इसइ नामि विजउ तिहां सुसीमा नामि नगरी तिहां श्री ईश्वरस्वामि इसइ नामि तीर्थकरु विहरइ । १५ । तथा अवरविदेह तणइ दक्षिणार्द्धि कालोदसमुद्र परपार समीपि चउवीसमउ नलिणावती नामि विजउ तिहां अयोध्या नामि नगरी तिहां श्री नेमिप्रभस्वामि इसइ नामि 20 तीर्थकरु विहरइ । १६ । तथा पश्चिम महाविदेह तणइ पूर्वविदेहि उत्तरार्द्धि कालोदसमुद्र परपार समीपि आठमउ पुष्कलावती नामि विजउ तिहां पुंडरीकिणी नामि नगरी तिहां श्री विश्वसेनस्वामी इसइ नामि तीर्थकरु विहरइ । १७ । तथा अवर विदेह तणइ उत्तरार्द्धि मानुषोत्तर पर्वत समीपि पंचवीसमउ वा इसइ नामि विजउ तिहां विजया नामि नगरी तिहां श्री महाभद्रस्वामि इसइ नामि तीर्थंकर विहरइ । १८ । तथा पूर्वविदेह तणइ दक्षिणार्द्धि कालोदसमुद्र परपार समीपि नवमउ वत्सु इसइ नामि विजउ तिहां 25 सुसीमा नामि नगरी तिहां श्री देवस्वामि इसइ नामि तीर्थंकर विहरइ । १९ । केई एकि देवयशास्वामि इसउं नामु कहइं। तथा अवर विदेह तणइ दक्षिणार्द्धि मानुषोत्तर पर्वत समीपि चउवीसमउ नलिणावती नामि विजउ तिहां अयोध्या नामि नगरी तिहां श्री यशरुद्धिस्वामि इसइ नामि तीर्थकरु विहरइ । २० । केई एकि अमितवीर्यस्खामि इसइ नामि कहई। $64) वीसहिं जिन तणउं तनुमानु आयुष्कमानु वर्ण लांछन श्री युगादिजिन समान जाणिवां । 30 तेह तेह विजयनायक श्री युगवाहु, श्री महाबाहु प्रमुख वासुदेवसंसेवितपाद वीसइ जिन छई । 65) तथा पूर्वविदेहोत्तरार्द्ध अवरविदेहोत्तरार्द्ध पूर्वविदेह दक्षिणार्द्ध अवरविदेह दक्षिणार्द्ध संस्थित छई आठ आठ विजय विदेह तीह माहि जघन्यपद विहरमाण केवलज्ञानिसंख्या साधुसंख्या च एक एक तीर्थकर रहइं परिवारता करी कहियइं। दस २ लाख केवलज्ञानिया। एकु २ कोडिसउ सु साधु तणउं तीहं तणइ परिवारि जाणिवउं । साध्वी-श्रावक-श्राविकामान सांभलियई नहीं। गीतार्थ35 ष० बा० ४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003394
Book TitleShadavashyaka Banav Bodh Vrutti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrabodh Bechardas Pandit
PublisherBharatiya Vidya Bhavan
Publication Year1976
Total Pages372
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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