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पोषधविधि ।
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'खामेमि सवजीवे' इच्चाइगाहाओ भणिऊण वामबाहूवहाणो निद्दासोक्खं करेइ । जइ उबत्तइ तो सरीरसंथारए पमज्जिय, अह सरीरचिंताए उट्ठेइ, तो सरीरचितं काऊण, इरियावहियं पडिक्कमिय, जहन्ने वि गाहातिगं गुणिय सुयइ । सुत्तो वि जाव न निद्दा एइ ताव धम्मजागरियं जागरंतो थूलभद्दाइमहरिसिचरियाइं परिभावेइ । तओ पच्छिमरयणीए उट्टिय, इरियावहियं पडिक्कमिय, कुसुमिण- दुस्सुमिणकाउस्सगं सयउस्सासं मेहुणसुमिणे अङ्कुत्तरसय उस्सासं करिय, सक्कत्थयं भणिय, पुत्र्वत्तविहीए सामाइयं काउं, सज्झायं संदिसाविय, ताव करे जाव पडिक्कमणवेला । तओ विहिणा पडिक्कमिय, जायाए पsिहणार, पुत्रविहिणा काऊण पडिलेहणं, जहन्नओ वि मुहुत्तमेत्तं सज्झायं करिय, पोसहपारणट्टी खमासमणदुगेण मुहपोत्तिं पडिलेहिय, खमासमणपुवं भणइ - 'इच्छाकारेण संदिसह पोसहं पारावेह' । गुरू भइ - 'पुण कायो' । बीयखमासमणेण 'पोसहं पारेमि' त्ति । गुरू भणइ – 'आयारो न मोतबो'ति । तओ नमोक्कारतिगं उद्धट्ठिओ भणइ । पुणो मुहपोत्तिं पडिलेहिय, पुत्रविहिणा सामाइयं पारे । पोसहे पारिए नियमा सइ " संभवे साहू पडिलाभिय, पारियां ति । जो पुण रतिं पोसहं लेइ सो संझाए उबहिं पडिलेहिय, तो पोस ठाउं, थंडिल्लपेहणाई सबं करेइ । नवरं जाव दिवससेसं रत्तिं वा पज्जुवासामि त्ति उच्चरइ । पभाए पुण जाव अहोरतं दिवसं वा पज्जुवासामि त्ति उच्चरइ । भणियत्थ संगाहियाओ इमाओ गाहाओ'
वत्थाइअ पडिलेहिय, सड्डो गोसंमि पेहिउं पोत्तिं । नवकारतिगं कड्डिउमिय पोसहसुत्तमुच्चरइ ॥ १ ॥ 'करेमि भंते पोसह मिचाइ' ।
1 B संगाहिणाओ इमाइ गाहाओ ।
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सामाइयं परिहिय कयपडिकमणो य कुणइ पडिलेहं । अंग पsिहणं पिय कडिपट्ट्य- ठावणायरिए ॥ २ ॥ उवहिमुहपोत्ति उवहीपोसहसाला इपेहसज्झाओ । पुती भंडुवगरणस्स पेहणं पउणपहरम्मि ॥ ३ ॥ चेइयचियवंदण-पुत्ति पेहणं भत्तपाणपारवणं । सक्कत्थय-भोयण- सक्कत्थयग-वंदणय-संवरणे ॥ ४ ॥ आवस्सियाइगमणं सरीरचिंताइ - आगमनिसीही । काऊं गमनागमणालोयणमह कुणइ सज्झायं ॥ ५ ॥ तह चरिमपोरिसीए विहीर पडिलेहणंग पडिलेहे । कडिपट्ट-वसहिपेहा-ठवणायरिउवहिमुहपोत्ती ॥ ६ ॥ तो उवहिथंडिले संदिसावइ कंबलाइ पडिले । पुण मुहपोत्तिय सज्झाय आसणे संदिसावेह ॥ ७ ॥ पढइ सुणेइ जाव कालवेलमह थंडिले चउवीसं । पेहिय पडिकमिउं जाममित्तमिह गुणइ विहिणाउ ॥ ८ ॥ राइयसंधारय-पुत्तिषेह-सक्कत्थएण उ सुवित्ता ।
ओइरियं सक्कथयं कहिय मुहपोत्तिं ॥ ९ ॥ पेहिय विहिणा सामाइयं पि काउं तओ पडिक्कमइ । पडिले हाइपुत्रं च कुणइ सर्व्वं पिकायचं ॥ १० ॥
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