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संक्षिप्त जीवन चरित्र ५ अजितशान्तिवृत्ति (बोधदीपिका) सं० १३६५ पोष, प्र० ७४०, दाशरथिपुर (प्र.) ६ उपसर्गहरस्तोत्रवृत्ति (अर्थकल्पलता), ग्रं० २७१, सं० १३६४ पो० ३०९, साकेतपुर (प्र.) ७ भयहरस्तोत्रवृत्ति (अभिप्रायचन्द्रिका), सं० १३६४, पो० सु० ९, साकेतपुर । ८ पादलिप्तकृत वीरस्तोत्रवृत्ति, सं० १३८०, (चतुर्विंशतिप्रबन्ध अनुवादके परिशिष्टमें प्र०) ९ राजादि-रुचादिगणवृत्ति, सं० १३८१ । १० विविधतीर्थकल्प, सं० १३९० तकमें पूर्ण (सिंघी जैन अन्य मालामें प्रकाशित) ११ विदग्धमुखमण्डनवृत्ति (इसकी एक मात्र प्रति बीकानेरके श्रीजिनचारित्रसूरि-भंडारमें है)। १२ साधुप्रतिक्रमणवृत्ति, जैनस्तोत्रसंदोह, भा॰ २, प्रस्तावना पृ० ५१ में इसका रचना काल ___ सं० १३६४ लिखा है। १३ हैमव्याकरणानेकार्थकोष, श्लो० २००, (पुरातत्त्व, वर्ष २, पृ० १२१ में उल्लिखित) १४ प्रत्याख्यानस्थान विवरण १५ प्रव्रज्याभिधानवृत्ति १६ वन्दनस्थानविवरण
इनका उल्लेख, हीरालाल कापडियाकी 'चतुर्विशति जिनानन्द१७ विषमकाव्यवृत्ति
स्तुति की प्रस्तावना, पृ० ४० में है । १८ पूजाविधि १९ तपोटमतकुट्टन २० परमसुखद्वात्रिंशिका, गा० ३२ २१ सूरिमन्नाम्नाय (सूरिविद्याकल्प). २२ वर्द्धमानविद्या, प्रा० गा० १७ २३ पद्मावती चतुष्पदिका, गा० ३७ २४ अनुयोगचतुष्टयव्याख्या (प्र.) २५ रहस्यकल्पद्रुम, अलभ्य, उल्लेख मं० २०२४ में। २६ आवश्यकसूत्रावचूरि (षडावश्यक टीका) उल्लेख 'जैन साहित्यनो सं० इतिहास' तथा जैनस्तोत्र
संदोह भाग २. २७ देवपूजाविधि - विधिप्रपा परिशिष्टमें प्रकाशित.
जै० सा० सं० इ० ४२०, और जैनस्तोत्रसं० भा० २, प्रस्तावनामें इनके रचित ग्रन्थों में, चतुर्विधभावनाकुलक आदि कई अन्य कृतियोंका उल्लेख है पर हमें वे आगमगच्छीय जिनप्रभसूरिरचित प्रतीत होती है ( देखो, जै० गु० क. भा० १, प्रस्तावना पृ० ८०-८१)
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