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स्तुति-स्तोत्रादिकी सूची
विशेष श्लेषमय
पारसी भाषा अष्टभाषामय महायमक समचरण-साम्य षड़भाषामय
नाम पच प्रारम्भ
भाषा पथसंख्या १ श्रीजिनस्तोत्र (१० दिग्पाल- अस्तु श्रीनाभिभूदेवो सं० ११ ।।
स्तुतिगर्भ)
श्रीऋषभजिनस्तोत्र अल्लालाहि ! तुराहं ३ श्रीषभजिनस्तोत्र निरवधिरुचिरज्ञानं
४० ४ श्रीअजितजिनस्तोत्र विश्वेश्वरं मथितमन्मथ० ५ श्रीचन्द्रप्रभजिनस्तुति देवैर्यस्तुष्टुवे तुष्टैः सं०
नमो महासेननरेन्द्रतनुज! ७ श्रीशान्तिजिनस्तवन श्रीशान्तिनाथो भगवान् सं० ८ श्रीमुनिसुव्रतजिनस्तोत्र निर्माय निर्माय गुणद्धि सं० ९ श्रीनेमिजिनस्तोत्र श्रीहरिकुलहीराकर० सं० १० श्रीपार्श्वजिनस्तोत्र अधियदुपनमन्तो सं०
कामे वामेय ! शक्तिर्भवतु सं० १२ , , (जीरापल्ली) जीरिकापुरपतिं सदैव तं सं० १३ , , (प्रातिहार्य) त्वां विनुत्य महिमश्रिया महं सं० ___, , (नवग्रहग०) दोसावहारदक्खो प्रा०
पार्श्वनाथमनघं सं० पार्श्व प्रभु शश्वदकोपमानम् सं०
श्रीपार्श्व ! पादानतनागराज सं० १८ " "
श्रीपार्श्व भावतः स्तौमि सं०
श्रीपार्श्वः श्रेयसे भूयात् सं० " (फलवर्द्धि) सयलाहिवाहिजलहर० २१ श्रीवीरजिनस्तोत्र
असमशमनिवास श्रीवीरजिनस्तोत्र कंसारिक्रमनिर्यदापगा० सं० २५
चित्रैः स्तोष्ये जिनं वीरं सं० २७ २४ " "
निस्तीर्णविस्तीर्णभवार्णवं सं० १७ २५ , (पंचकल्याणक) पराक्रमेणेव पराजितोऽयं सं० ३६
श्रीवर्द्धमानपरिपूरित० सं० १३
त्र्यक्षर यमक क्रियागुप्त सं० १३६९
2022 20222
त्र्यक्षर यमक समचरण-साम्य प्राकृत
22-23
पादान्तयमक
समचरण-साम्य
प्राकृत विविधछंद जाति छंदनाममय चित्रमय लक्षणप्रयोग
इनमेंसे नं०८,१५, २९, ३३ अप्रकाशित हैं, अवशेष सब प्रकरण रनाकर, जैनस्तोत्रसमुच्चय, जैनस्तोत्रसन्दोह, प्राचीनजैनस्तोत्रसंग्रह आदिमें प्रकाशित हो गये हैं। नं. २ सावरि जैन साहित्यसंशोधकमें प्रकाशित हो चुका है। नं०१४,४१ की अवचूरि, टिप्पण उपलब्ध है। पं० लालचंद भगवानदासने इस सूचीके अतिरिक्त "किं कप्पतरुरे" आदि वाले पंचपरमेष्ठिस्तवका भी नाम लिखा है। हीरालाल रसिकदास कापडिया सूरिजीके सभी स्तोत्रोंका संग्रहप्रन्ध सम्पादित करके दे. ला. पु० फंडसे प्रकाशित करने वाले हैं। वह शीघ्र ही प्रगट हो यही हमारी मनोकामना है।
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