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बात बगसीरांमजी प्रोहित होरांकी
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हलै बेठ भीमंग जरी तार पट (ट्ट), भुकै चामरं सेत सोभा, झपट (ट्ट ) | मनुं बदं ( ६ ) लं हेमको छत्र मंड, दमंकार बज्र कणं सोभ डंडं । चल्यौ भीमरांगं समाज ( जै) बिचित्रं, नट (टे ) नाये (य) का रंगरागं निरंत्रं ॥ दहूधा बजे ताल भेरी म्रदंगं रचे श्रार भीतसिक ( का, कै) रंगरंगं । विमु (भू, मू) षत् शस्त्रं पन ( नै, ना ) जोधबं दं, करै क्रीतकी हाक भद्र कवंदं ॥ उ हैमरं पोड रज प्राषंडं, तटं व्योम भासी ढक्यो मारतंडं । थटै संग लीने सबै सेन थाटं, घुमंडे पीछोले गई बीर घाट ॥ नरिदं तबै बैठयू नीर नावं, सुभट (ट्ट) हजूर सबै संग भावें (वं ) । जग ( गै) मंदरं प्राप्त (ते ) ईद्र जैसे, प्रत (ती) सोभमानं विराजत्त ऐसे || मिलेयू चहूंगा महानीर मंड, चलै मच्छ कि ( की ) लोल लोलं प्रचंड || २३० दोहा - सगता चांडा संग सभट, यम जगमंदर प्राय ।
free frछायत भीमबर, बैठे सभा बनाय ।। २३१
श्रथ जगमंदर जगनिवासको बरणं
जाति पधरी- उपत जगमंदर जगनिवास, पर दोहनको सोभा प्रकास । बण थंभ लाल बिक्रम बसेस, अतरंग रंग पथर असेस !! ऊतंग षंभ सोभा अतूल, द ( दी ) पंत लपट रेसम दुकूल ।
यदंत किरम छिब रंग रंग, सोभा बितांन जर तार संग ॥ बरण बिबध गोष जालीन बूंद, छित्र चित्र काच मकरंद बिंद । उतंग भरोषा गिगन बंक, बण छाजा तिखण धनक बंक || aण पडदा छटकत बिबध रंग
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पुलकंठ जडत मोती प्रसंग, प्रतरंग रावटी छिव ऊतंग || सोमंतक वैगिरि किनक श्रंग, थित माल सुगंधन फूल थाट । कुंदन चित्र म चंदन कपाट, बण बाग तेरावर विध विधान || पर गहर सषा फल फूल पांन, जष ओमन बेली गहर झुंड । मिल पवन सुंगंधन फूल, भंकार ससट गण अंग भूल ॥ मिलकर पिक है तंडत मयोर, सुर चकव कपोतन बिबध सोर ।
यह बिध जगमंदर जग निवास, परस पर विमल सोभा प्रकास ।। २३१
दोहा - होद नीर चादर वहत, अरु फुलवा दिस बोय ।
सुष समाज सोभा सरस, जगमिंदर द्रग जोय ॥। २३२ छप्पै - जगमिंदर इंम जोप राण भीमेण बिराजत, ऊछव कर्त अनेक सुभट थट स्यंघ समाजत ।
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