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________________ ख. संज्ञक-राजस्थानी शोध संस्थान, जोधपुर के संग्रह का यह गुटका है। साइज १४,५४१२; पत्र० १४४-१५६; पंक्ति० १४; अक्षर० २१ है । लेखनप्रशस्ति इस प्रकार है : "इति श्री राजा चंदरी प्रेमलालछी रुद्रदेवरी वात संपूर्ण । संवत् १८३६ रा मती चैत्र वदि १४ चंद्रवासरेः। पंडीतचक्रचूडामणी वा० । श्री श्री श्री ७ श्रीकुशलरत्नजी तशिष्य पं० श्रीश्रीअनोपरत्नजी मुनि खुस्यालचंद लिपिकृतः। श्रीगुंदवच नगरमध्ये ।। सेवग गिरधरीरी पोथी माहे सुलखीः ।" भाभार-प्रदर्शन राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान के सम्मान्य सञ्चालक, परमादरणीय 'पद्मश्री' मुनि जिनविजयजी 'पुरातत्त्वाचार्य का मैं हृदय से अत्यन्त आभार मानता है कि जिन्होंने अपने निर्देशन में मुझे प्रस्तुत 'राजस्थानी साहित्य संग्रहभाग ३' का सम्पादन कार्य सौंप कर राजस्थानी भाषा के प्रति मेरी अभिरुचि का संवर्द्धन किया । साथ ही मैं प्रतिष्ठान के उपसंचालक, विद्यारागपरायण पं० श्रीगोपालनारायणजी बहुरा एम. ए. का अत्यन्त कृतज्ञ हूँ जिनका कि मुझे स्नेहसौजन्यपूर्ण सहयोग एवं सत्परामर्श सतत सुलभ रहा। राजस्थानी भाषा के शोधविद्वान् एवं प्रतिनिधिकवि डॉ. नारायणसिंहजी भाटी ने अपने शोध-संस्थान तथा शोधप्रबन्ध-लेखनादिक अनेक महत्त्वपूर्ण कार्यों में अत्यधिक व्यस्त रहते हुए भी मेरे स्वल्प अनुरोध से ही उक्त संग्रह की विशद भूमिका लिखने का कष्ट कर अपनी सदाशयता का परिचय दिया। एतदर्थ में इनके प्रति धन्यवाद-पुरस्सर हार्दिक आभार प्रदर्शित करना अपना कर्तव्य समझता हूं। ___ में अपने सहयोगी मित्रों, विशेषतः सुहृद्वर श्रीविनयसागरजी महोपाध्याय एवं पं० श्रीठाकुरदत्तजी जोशी साहित्याचार्य का भी आभार मानता हूँ कि जिन्होंने मुझे सामग्री-संकलनादि कार्यों में अपना अपेक्षित सहयोग प्रदान किया। आनन्द भवन, चौपासनी रोड, जोधपुर ) भाद्रपद शुक्ल ५ सं० २०२२ वि० गोस्वामी लक्ष्मीनारायण दीक्षित + Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003392
Book TitleRajasthani Sahitya Sangraha 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakshminarayan Dixit
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1966
Total Pages330
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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