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________________ संचालकीय वक्तव्य राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान की ओर से राजस्थान पुरातन ग्रंथ-माला' के अन्तर्गत "राजस्थानी साहित्य-संग्रह-श्रेणी" में राजस्थानी भाषा की प्रतिनिधि स्वरूप उत्तम प्रकार की कृतियों को यथायोग्य प्रकाशित करने का हमारा संकल्प ग्रंथमाला प्रारम्भ करने के समय से ही बना हुआ है। तदनुसार राजस्थानी साहित्य-संग्रह के दो भाग पहले प्रकाशित हो चुके हैं । राजस्थानी साहित्य-संग्रह, भाग १ का प्रकाशन १९५७ ई० में हुआ, जिसका सम्पादन राजस्थानी भाषा और साहित्य के सुप्रसिद्ध विद्वान् प्रो० नरोत्तमदास स्वामी, एम० ए०, विद्यामहोदधि ने किया। इस संकलन में : १-खींची गंगेव नींबावतरो दो-पहरो, २-रामदास वैरावतरी आखड़ीरी वात और ३-राजान राउतरो वात-वणाव नामक तीन राजस्थानी वर्णनात्मक वार्ताओं का प्रकाशन हुमा । इसी भाग के प्रारम्भ में राजस्थानी गद्य के विषय में श्री अगरचन्द नाहटा के दो निबन्ध प्रकाशित किये गये हैं जिनसे पाठकों को राजस्थानी कथासाहित्य और राजस्थानी गद्यात्मक रचनाओं के वैशिष्टय का परिचय प्राप्त होता है। - राजस्थानी साहित्य-संग्रह, भाग २ का प्रकाशन १९६० ई० में हुआ जिसका सम्पादन प्रतिष्ठान के प्रवर शोध-सहायक डॉ. पुरुषोत्तमलाल मेनारिया, एम०ए०, साहित्यरत्न ने किया है। इस पुस्तक में वीरतासंबंधी तीन राजस्थानी कथाएँ हैं : १-देवजी बगड़ावतारी वात , २-प्रतापसिंघ म्होकमसिंघरी वात और ३-वीरमदे सोनीगरारी वात । तीनों ही वार्ताओं के साथ सम्पादक ने शब्दार्थ और टिप्पणियां दी हैं जिनसे पाठकों को वार्तामों के अर्थग्रहण में सुविधा रहती है। साथ ही, सम्पादकीय भूमिका और परिशिष्ट में परिश्रमपूर्वक प्राचीन भारतीय कथा-साहित्य, राजस्थानी कथा-साहित्य और प्रत्येक वार्ता से संबंधित ऐतिहासिक और साहित्यिक-सौन्दर्य को प्रकट कर राजस्थानी कथा-साहित्यविषयक जानकारी को अग्रेसृत किया गया गया है। उक्त दोनों ही प्रकाशनों में राजस्थानी भाषा की प्राचीन कथानों और गद्य के उत्कृष्ट उदाहरण संकलित हैं। ___ इसी श्रृंखला में प्रस्तुत राजस्थानी साहित्य-संग्रह, भाग ३, ग्रंथमाला के ५३वें ग्रंथ के रूप में पाठकों को प्रस्तुत किया जा रहा है। इसमें पांच राजस्थानी Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003392
Book TitleRajasthani Sahitya Sangraha 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakshminarayan Dixit
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1966
Total Pages330
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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